वॉशिंगटन: आज की रात आसमान में अद्भुत नजारा दिखाई देने जा रहा है। पूर्णिमा की रात अपने पूरे शबाब में दिखने वाला चांद आज मून नहीं बल्कि ‘ब्लू मून’ (Blue Moon) कहलाएगा। रविवार को सूर्यास्त होते ही शाम 7.11 मिनट पर आसमान में ओरिजिनल ब्लू मून का उदय होगा। नासा ने बताया है कि ब्लू मून को भारत समेत दुनिया के सभी देशों में देखा जाएगा।
क्यों कहा जाता है ब्लू मून
ब्लू मून का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि चंद्रमा नीले रंग में दिखाई देने वाला है। बल्कि, यह एक प्रचलित नाम मात्र ही है। जब किसी साल के एक सीजन (तीन महीना) में चार पूर्णिमा पड़ती है तो उसमें से तीसरी को ब्लू मून का नाम से जाना जाता है। इस बार 22 अगस्त की रात सीजन की कुल चार में से तीसरी पूर्णिमा है। इसलिए, इसे ब्लू मून का नाम दिया गया है। इस स्थिति में पूर्ण चंद्रमा दिखता है लेकिन चंद्रमा के निचले हिस्से से नीला प्रकाश निकलता दिखेगा। माना जा रहा है कि अगला ब्लू मून 2028 और 2037 में दिखेगा।
2.7 साल में एक बार दिखता है यह नजारा
फुल ब्लू मून औसतन हर 2.7 साल में एक बार होता है। वास्तव में चंद्रमा नीला दिखाई नहीं देगा बल्कि आम पूर्णिमा की तरह वह पूर्ण रूप में और चमकदार दिखेगा। अलग-अलग संस्कृतियों में ब्लू मून के नाम भी भिन्न हैं। जैसे अनीशनाबे लोग इसे “बेरी मून” के रूप में जानते हैं, जबकि चेरोकी लोग इसे “ड्राइंग अप मून” कहते हैं। कोमांचे लोगों के लिए, अगस्त की पूर्णिमा “ग्रीष्मकालीन चंद्रमा” है। क्रीक लोग इसे “बड़ी फसल” चंद्रमा के रूप में जानते हैं। और होपी लोग इसे “आनन्द का चन्द्रमा” कहते हैं।
चंद्रमा के पारंपरिक नामों में से एक है ब्लू मून
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 60 के दशक में ब्लू मून का नाम का इस्तेमाल किया था। स्काई एंड टेलीस्कोप ने 1930 के दशक में प्रकाशित मेन फार्मर्स अल्मनैक में इस शब्द की उत्पत्ति का पता लगाया है। स्काई एंड टेलिस्कोप के ऑब्जर्विंग एडिटर डायना हैनिकेनन ने बताया कि ब्लू मून चंद्रमा के अन्य पारंपरिक नामों में से ही एक है। हम चंद्रमा के लिए वुल्फ मून और हार्वेस्ट मून के नाम का भी इस्तेमाल करते हैं।
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