Ranchi: झारखंड में गर्मी (summer in jharkhand) अगले दस दिनों में चरम पर होगी। राज्य के कई जिले लू की चपेट में होगें। इसे लेकर मौसम विभाग (weather department) अलर्ट भी जारी कर चुका है। शनिवार को रांची का अधिकतम तापमान 38 डिग्री रिकार्ड किया गया। मौसम विभाग ने आसपास के इलाकों में हीट वेव (heat wave) का अलर्ट जारी किया है।
इतना ही नहीं अल्ट्रा वायलेट रे (ultra violet ray) का लेवल भी हाई रिस्क पर पहुंच गया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूवी का लेवल 11 पर पहुंच चुका है, जो कि एक्सट्रीम लेवल है। इससे लोगों को सनबर्न होने के साथ ही कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
हालांकि, सुबह और शाम में लोगों को गर्मी का एहसास नहीं हो रहा है लेकिन जैसे-जैसे सूरज चढ़ रहा है लोगों को गर्मी का एहसास हो रहा है। सुबह आठ बजे के बाद से सूरज आसमान से आग बरसा रहा है। हालात यह है कि अभी दोपहर में बाजार में सन्नाटा पसर जा रहा है। वहीं इससे बचने के लिए लोग घरों में ही दुबक रहे हैं।
बिरसा जैविक उद्यान में जानवरों और पशु-पक्षियों की सुविधा बढ़ी
प्रचंड गर्मी को देखते हुए ओरमांझी के बिरसा जैविक उद्यान में जानवर और पशु-पक्षियों को की सुविधा बढ़ा दी गई है। वहीं, भोजन में कुछ परिर्वतन किया गया है। उद्यान प्रशासन ने हाथियों के केज में एक बड़ा टब बनवा दिया है। टब के भरे पानी में उद्यान की हाथी लखी रानी व जूनियर सम्राट अटखेलिया कर मस्ती कर रहे हैं। बाघ और बाघिन, भालू, साहिल के बाहर के केज में पुआल, जूट बोरा देकर छांव बना दिया गया है। अंदर के केज में कूलर से ठंडक ले रहे हैं। इसके अलावा दिन में भी ठंडक के लिए केज में नमी रखी जा रही है। पीने के लिए पानी की कमी न हो इसके लिए केज के टब में पानी भर दिया गया है।
इस संबंध में जैविक उद्यान के पशु चिकितसक डा. ओपी साहू ने बताया कि उद्यान कर्मियों को उद्यान के सभी पशु-पक्षियों पर विशेष ध्यान रखने को कहा गया है। किसी भी जानवर के व्यवहार में परिवर्तन देखते ही सूचना देने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि गर्मी को देखते हुए उद्यान प्रशासन द्वारा जैविक उद्यान के शाकाहारी पशुओं के भोजन में भी विशेष परिर्वतन किया गया है। शाकाहारी पशुओं को भोजन में मौसमी भोजन खीरा, ककड़ी व तरबूज भी दिए जा रहे हैं। इसके अलावा डी-हाइड्रेशन से बचाने के लिए पेयजल में ग्लूकोज मिला कर दिया जा रहा है। वहीं, मांसाहारी पशुओं को ठंड के मौसम के तुलना में भोजन थोड़ा कम कर दिया गया है। इसके अलावा जैविक उद्यान के पक्षियों को भी पेयजल के साथ बी काम्लेक्स के घोल दिए जा रहे हैं।