New Delhi: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाने वाली एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard Limited) के निदेशकों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने देश के 28 बैंकों को 22,842 करोड़ रुपये की चपत लगाई है। सीबीआई ने इस मामले में मचे कोहराम के बीच कंपनी के निदेशकों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने की बात की है।
सीबीआई का कहना है कि उसने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के खातों, बिक्री-खरीद के ब्योरे, निदेशक मंडल की बैठक के ब्योरे, शेयर और करार संबंधी दस्तावेज बरामद किए हैं। इसके अलावा एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और अन्य संबंधित लोगों के बैंक खातों के विवरण भी हासिल किए गए हैं।
सीबीआई द्वारा लुकआउट नोटिस जारी किए जाने से पहले भारतीय स्टेट बैंक ने भी मुख्य आरोपी के खिलाफ वर्ष 2019 में लुक आउट नोटिस जारी किया था।
सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ राज्यों द्वारा सीबीआई जांच को मिली मंजूरी वापस लेने से बैंक धोखाधड़ी के मामलों को दर्ज करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। बैंक धोखाधड़ी के ऐसे करीब 100 मामले हैं, जो राज्य सरकार की सहमति के बिना दर्ज नहीं किया जा सके।
देश की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी के इस मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने ऋण से मिली राशि में से बड़े हिस्से को संबंधित पार्टियों को हस्तांतरित किया। यह भी आरोप है कि बैंक ऋण से प्राप्त राशि से इसकी विदेशी सहयोगी कंपनियों में भी भारी निवेश किया गया। इसका इस्तेमाल संबंधित पार्टियों ने अपने नाम से बड़ी परिसंपत्ति को खरीदने में भी किया है।
सीबीआई का कहना है कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड ने बतौर ऋण इंडियन ओवरसीज बैंक से 1,228 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक से 1,224 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा से 1,614 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक से 7,089 करोड़ रुपये और 3,634 करोड़ रुपये आईडीबीआई बैंक से लिया। इसके बाद उसने बैंकों को भुगतान नहीं किया।
बैंकों ने पहले इस मामले में आंतरिक जांच शुरू की, जिसमें पाया गया कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड बैंकों के कंसर्टियम के साथ धोखाधड़ी करके दूसरे प्रतिष्ठानों को ऋण राशि दे रही है।
सीबीआई अधिकारी ने बताया कि एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड वर्ष 2001 से ही एसबीआई के साथ काम कर रही है। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का खाता 30 नवंबर 2013 को गैर निष्पादित परिसंपत्ति यानी एनपीए में शामिल किया गया। बैंक की शिकायत के मुताबिक यह एनपीए 22,842 करोड़ रुपये का है और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड को अधिकतर ऋण राशि वर्ष 2005 से 2012 के बीच दी गई। उसे यह ऋण आईसीआईसीआई बैंक की अगुवाई वाले कंसर्टियम ने जारी किया है।
कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन के तहत 27 मार्च 2014 को एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के ऋण का पुनर्गठन किया गया। हालांकि, इसके बावजूद कंपनी का कामकाज दोबारा शुरू नहीं हो पाया।
वर्ष 2014 में 10 सितंबर को एन वी डांड एंड एसोसिएट को एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड के स्टॉक की ऑडिट का काम सौंपा गया। ऑडिट फर्म ने अपनी रिपोर्ट 30 अप्रैल 2016 को पेश की और उसमें एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड की कई खामियों के बारे में बताया। इसी के बाद एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का खाता एनपीए घोषित किया गया।
अर्न्सट एंड यंग एलएलपी ने इसकी फोरेंसिक ऑडिट की। इस ऑडिट की अवधि वर्ष 2012 से 2017 तक की है। इसी बीच इस मामले को आईसीआईसीआई बैंक कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के लिए एक अगस्त 2017 को राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण यानी एनसीएलटी, अहमदाबाद में लेकर गया।
अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच कंसर्टियम में शामिल कई बैंकों ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड धोखेबाज घोषित किया।(IANS)
- Deoghar: लूट मामले में अनुसंधान करने गई पुलिस पर हमला, तीन पुलिस कर्मी घायल
- Deoghar: ऑनलाइन सामान किया था आर्डर, हो गई 18 हजार रुपये की ठगी
- RBI ने Kotak Mahindra Bank के ऑनलाइल नये ग्राहक जोड़ने, नये क्रेडिट कार्ड जारी करने पर Banned लगा दिया है
- नाबालिग ने Online Game के लिए पिता के खाते से उड़ाये पौने दो लाख रुपये
- Dehradun: गैस पाइप फटने से रेस्टोरेंट में धधकी आग, ICFAI University के पास की घटना, टला बड़ा हादसा