देवघर: एम्स (AIIMS) की चारदीवारी के निर्माण के दिन से लेकर ओपीडी के शुरुआत की तय तारीख 26 जून तक न जाने कितनी बार अधिकारी व नेताओं का यहां दौरा हुआ होगा। लेकिन किसी ने यहां जारी निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया। ऊपर से तुर्रा यह कि स्वास्थ्य सुविधा के मामले में अति पिछड़े संथाल परगना के लोगों के बीच देवघर का एम्स उम्मीद की उसी किरण की तरह है जहां अँधेरी गुफा में लोग लौ की तलाश में भटकते हैं।
सवाल तो उठेगा, उठना भी चाहिए:–
26 जून देवघर एम्स ओपीडी का उद्घाटन होना है। लेकिन ये ओपीडी भवन ख़ुशी के आंसू नहीं निकाल रहा बल्कि, पिछले कुछ दिनों की हुई बारिश ही गुणवत्ता की धज्जियाँ उड़ाते बारिश की बुँदे, जो इसकी छतों से हर पल टप-टप कर गिर रही है। ये बूंदें अपने आप में उस भविष्य की ओर इशारा कर रही है। जहां से इस एम्स परिसर के निर्माणाधीन भवन मसलन, हॉस्पिटल बिल्डिंग, कॉलेज बिल्डिंग, बॉयज एंड गर्ल्स हॉस्टल, डॉक्टर्स क्वाटर्स, पारा मेडिकल कर्मी क्वाटर्स आदि के भविष्य पर सवालिया निशान छोड़ रहे हैं।
होना तो यह चाहिए कि उद्घाटन से पहले भवन निर्माण की गुणवत्ता, परिसर में वॉटर ड्रेनेज सिस्टम आदि की ससमय जाँच कर हर कसौटी पर खरा उतरवाना चाहिए था। अभी दीवारों में हो रहे रिसाव को छत पर त्रिपाल देकर नियंत्रित करने की कोशिश जारी है। जिसे तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है।
ऐसे में भविष्य में इस बहुउद्देशीय भवन को सुरक्षित और मजबूत रखना हर उसकी जिम्मेदारी है, जो इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।