रांची: झारखंड में रह रहीं इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता सोरेन और उनका परिवार मुफलिसी की जिंदगी जीने को मजबूर है। संगीता परिवार का पेट पालने के लिए ईंट भट्टे में काम कर रहीं हैं। कभी-कभी तो गरीबी की वजह से उन्हें चावल-नमक से भी गुजारा करना पड़ता है।
इंटरनेशनल फुटबॉलर संगीता सोरेन के पिता दूबे सोरेन नेत्रहीन हैं। इस वजह से कोई काम करने में वो असमर्थ हैं। जबकि संगीता का भाई दिहाड़ी मजदूर है। किसी दिन काम मिल गया तो किसी दिन नहीं। ऐसे में संगीता ने परिवार की बागडोर अपने हाथों में ले ली और कहीं से मदद न मिलने पर मजदूरी करना शुरू कर दिए।
ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश ही नहीं विदेशों में भी संगीता ने अपने राज्य का नाम रौशन किया और उस बेटी को जरूरत पड़ने पर एक अदद मदद न मिल सकी। संगीता ने 4 महीने पहले ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सोशल मीडिया के जरिये मदद मांगी थी। इस पर संज्ञान लेते हुए CM ने मदद का आश्वासन तो दिया था। लेकिन 4 महीने बाद अब तक संगीता को किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिली।
अब महिला आयोग ने इस पर एक्शन लेते हुए झारखंड सरकार और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को चिट्ठी लिखी है। आयोग ने उनसे संगीता को अच्छी नौकरी देने के लिए कहा है, ताकि वे अपना बाकी जीवन सम्मान के साथ गुजार सकें।
सरकार से मदद मांगने पर भी जब मदद धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड के रेंगुनी पंचायत में आने वाले बांसमुड़ी गांव में रहने वाली फुटबॉलर संगीता को नहीं मिली तो संगीता राज्य सरकार पर भी बिफर पड़ीं। उन्होंने कहा- सरकार से हम क्या मांग करें। उन्हें खुद ही मेरे बारे में सोचना चाहिए। जिन आदिवासियों की मदद के लिए झारखंड का गठन हुआ है, राज्य सरकार उस उद्देश्य से ही भटक चुकी है। मैंने पहले भी कई बार सरकार से मदद मांगी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
द टेलीग्राफ ऑनलाइन को दिए इंटरव्यू में संगीता ने कहा कि इंटरनेशनल प्लेयर्स का ख्याल रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। मैंने सोशल मीडिया के जरिए उनका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की। मैंने स्कॉलरशिप के लिए भी आवेदन किया है। पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मैंने अब कोशिश करना भी छोड़ दिया है।
संगीता अंडर-17, अंडर-18 और अंडर-19 लेवल पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। अंडर-17 फुटबॉल चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। संगीता का सिलेक्शन पिछले साल सीनियर नेशनल टीम में भी होने वाला था। पर लॉकडाउन की वजह से उन्हें यह मौका नहीं मिल पाया।
महिला आयोग ने जारी किया प्रेस नोट
महिला आयोग ने झारखंड सरकार को लिखी चिट्ठी को लेकर एक प्रेस नोट भी जारी किया। इसमें उन्होंने लिखा- संगीता पिछले 3 साल से जॉब पाने की कोशिश कर रही हैं, पर किसी ने उनकी मदद नहीं की। इंटरनेशनल लेवल पर खेलने के लिए भी उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए दिए गए। संगीता की स्थिति देश के लिए शर्म की बात है। उन्हें तरजीह दी जानी चाहिए। उन्होंने सिर्फ अपने देश को नहीं बल्कि, झारखंड को भी वर्ल्ड फुटबॉल में रिप्रजेंट किया है। यह सब उनकी लगन और मेहनत की वजह से हो सका। चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने झारखंड के मुख्य सचिव से कहा है कि संगीता को हरसंभव मदद दी जाए, ताकि वह अपनी बाकी जिंदगी सम्मान के साथ जी सके और परिवार की मदद कर सके। इसकी कॉपी AIFF को भी भेजी गई है।