New Delhi: तेज तूफानी लहरें उठने की घटनाओं के हाल के एक अध्ययन से पता चलता है कि हिंद महासागर, अरब सागर के उत्तरी क्षेत्र और बंगाल की मध्य खाड़ी में निकट भविष्य में तूफानी लहरों के दिनों में वृद्धि का अनुभव होने की आशंका है। जलवायु परिवर्तन के चलते समुद्र में ऊंची लहरें उठने की ऐसी घटनाएं हाल के दिनों में अधिकतर देखी गई हैं। यह अब समुद्र तटीय जनसंख्या, बुनियादी ढांचे और समुद्र से संबंधित गतिविधियों से होने वाली आजीविका पर जबरदस्त प्रभाव डाल सकती हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का मानना है कि इस प्रकार का अध्ययन विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में जीवन और संपत्ति पर बड़े प्रभावों को रोकने के लिए समय पर चेतावनी देने और योजना बनाने में मदद कर सकता है।
तूफान की तीव्रता और उसके मार्ग में परिवर्तन होते रहने के साथ-साथ अत्यधिक ऊंची लहरें उठने में देखी गई परिवर्तनशीलता और बदलाव की घटनाएं तटरेखा में परिवर्तन, उसके क्षरण की दर, बार-बार बाढ़ आने की परिस्थितियां और अन्य संबंधित तटीय खतरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक लहरें और इसके परिणाम क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर सामने आ रहे हैं। इसलिए, समय पर चेतावनी और तटीय योजना और प्रबंधन के लिए उच्च-आवृत्ति वाली लहरें इन घटनाओं के आयाम में भविष्य के अनुमानित परिवर्तनों की बेहतर समझ आवश्यक है।
एनआईटी दिल्ली, आईआईटी खड़गपुर और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना केंद्र के वैज्ञानिकों की एक टीम ने हिंद महासागर के ऊपर अत्यधिक लहर ऊंचाई सूचकांकों में संभावित भविष्य के बदलावों का अनुमान लगाया है। इन अनुमानों से संकेत मिलता है कि जलवायु के तहत परि²श्य के आर सीपी 4.5 (ग्रीनहाउस गैसों का मध्यम प्रतिनिधि संकेंद्रण मार्ग), पूर्वी उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के क्षेत्रों, अरब सागर के उत्तरी क्षेत्र और बंगाल की मध्य खाड़ी में तूफानी लहरों के दिनों में वृद्धि देखी गई है। हालांकि, आरसीपी 8.5 के अनुरूप हिंद महासागर के अधिकांश क्षेत्रों में उच्च-उत्सर्जन परि²श्य के अंतर्गत उत्तरी अरब सागर और 48 डिग्री दक्षिण से परे अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के अपवाद के साथ, दक्षिणी हिंद महासागर के अधिकांश क्षेत्रों में तेज लहरों के दिनों में कमी की प्रवृत्ति की संभावना है।
यह अध्ययन इंगित करता है कि दक्षिणी गोलार्ध में उच्च-आवृत्ति लहर घटनाओं के आयाम में अनुमानित परिवर्तन समुद्र-स्तर की प्रेशर ग्रैडीएंट में परिवर्तन से प्रेरित होते हैं जो इक्कीसवीं सदी की इस अवधि के लिए सदर्न ऐन्नयुलर मोड (एसएएम) के अनुमानों के अनुरूप है।
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संस्था, विज्ञान अनुसन्धान और इंजीनियरिंग बोर्ड द्वारा समर्थित शोध नीति निमार्ताओं और निर्णय लेने वाले अधिकारियों के लिए छोटी और दीर्घ अवधि की ऐसी योजना बनाने के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है जो समुद्र तटीय जनसंख्या को लाभान्वित कर सकती है।