Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए आईपीसी की धारा 498ए (महिला पर उसके पति या ससुराल वालों के द्वारा की गई क्रूरता) के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अपने ससुराल वालों से असंतुष्ट पत्नियां कानून के इस प्रावधान का हथियार के रूप में दुरुपयोग कर रही हैं।
न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा बिना उचित विचार-विमर्श के मामूली विवाद पर आवेश में आकर ऐसे मामले दायर किए जा रहे हैं। अदालत ने एक महिला द्वारा उसके जेठ और जेठानी के खिलाफ दर्ज करवाई गई प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बातें कही हैं।
धनबाद की रहने वाली एक महिला ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ यातना का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करवाई थी, जिसे रद्द करने के लिए राकेश राजपूत और उनकी पत्नी रीना राजपूत ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
आरोपितों की ओर से पक्ष रख रही अधिवक्ता आशमा खानम ने अपनी बहस के दौरान अदालत को बताया कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। क्योंकि, कथित घटना के दिन वे ट्रेन से सफर कर रहे थे।
बहस सुनने के बाद अदालत ने राकेश राजपूत और उनकी पत्नी के खिलाफ धनबाद सिविल कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान के आदेश सहित पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। (Agency)