Ranchi: आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी होना है। इसके मद्देनजर झारखंड में भाजपा दोनों चुनावों की तैयारियों में जोर-शोर से लगी है। राज्य में पार्टी हाईकमान ने बड़ा बदलाव करते हुए एक बार फिर से पुरानी टीम पर भरोसा दिखाया है।
राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश की जगह झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है जबकि बाबूलाल मरांडी के करीबी रहे दीपक प्रकाश को राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। राष्ट्रीय कार्यसमिति में झारखंड से सिर्फ दीपक प्रकाश को ही शामिल किया गया है। बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश का कई दशक पुराना संबंध रहा है। इससे वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में संगठन को फायदा मिलेगा।
15 नवंबर, 2000 में जब अलग झारखंड राज्य बना और बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री बने, उस वक्त बाबूलाल मरांडी के सबसे करीबी नेताओं में दीपक प्रकाश की गिनती होती थी। सरकार के कई बड़े फैसले में प्रत्यक्ष रूप से तो नहीं लेकिन पर्दे के पीछे दीपक प्रकाश की बड़ी भूमिका मानी जाती थी। बाबूलाल मरांडी उस वक्त जहां सरकार चलाने में व्यस्त रहे, वहीं दीपक प्रकाश के माध्यम से ही संगठन के सारे महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे। चर्चा यहां तक होती थी कि बाबूलाल मरांडी अपनी कैबिनेट से लेकर बोर्ड-निगम के बंटवारे में भी दीपक प्रकाश से सलाह जरूर लेते थे।
विद्यार्थी परिषद, विहिप और संघ के समय से दोनों में रहा जुड़ाव
बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश में विद्यार्थी परिषद, विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने के दौरान निकटता बढ़ती गई है। गिरिडीह जिले के एक छोटे से गांव कोदाईबांध गांव से रांची आ कर संगठन के कार्यक्रमों में शामिल होने के दौरान बाबूलाल मरांडी अक्सर दीपक प्रकाश के आवास पर ही ठहरते थे। बाद में संगठन और भाजपा के राजनीतिक कार्यक्रमों में दोनों ने एक साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। सक्रिय राजनीति में आने के बाद बाबूलाल मरांडी ने दुमका और संताल परगना क्षेत्र को अपना कार्य क्षेत्र बना लिया लेकिन इसके बावजूद उनके रांची आने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान रांची रहने के दौरान अधिकांश समय दीपक प्रकाश के साथ ही व्यतीत करते थे।
बाबूलाल मरांडी को पहली बार मुख्यमंत्री बनाने में भी अहम योगदान
वर्ष 2000 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने अलग झारखंड राज्य गठन का निर्णय लिया और संसद से इसे स्वीकृति मिली। इसके बाद भाजपा ने जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाने का निर्णय लिया। भाजपा नेतृत्व ने जब मुख्यमंत्री के नाम पर विचार-विमर्श शुरू किया, तो उस वक्त झारखंड के कद्दावर नेता कड़िया मुंडा का नाम सबसे आगे चल रहा था। बिहार भाजपा के सबसे प्रभावी नेता कैलाशपति मिश्र समेत पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेता कड़ियां मुंडा को ही झारखंड में सबसे बड़े नेता के रूप में जानते थे।
वाजपेयी ने भी लगभग कड़िया मुंडा के नाम पर सहमति दे दी थी। इस बात की जानकारी मिलने पर दीपक प्रकाश तुरंत विधायक रबीन्द्र राय और विधान पार्षद प्रवीण सिंह के साथ कैलाशपति मिश्र के पास पहुंचे। उन्होंने कैलाशपति मिश्र से आग्रह किया कि मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के पहले विधायकों की भी सहमति ले ली। इस पर कैलाशपति मिश्र सहमत हो गए। तब दीपक प्रकाश और अन्य नेताओं ने उनसे यह आग्रह किया कि जब विधायकों से उनकी राय ली जाए।
दीपक प्रकाश को आशंका थी कि कैलाशपति मिश्र के सामने पार्टी के अधिकांश विधायक दबाव में आकर कहीं कड़िया मुंडा के नाम पर ही सहमति न दे लेकिन कैलाशपति मिश्र ने दीपक प्रकाश के इस आग्रह को भी स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद बीजेपी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने एक-एक विधायकों से अलग से मुलाकात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, जिसमें अधिकांश विधायकों ने बाबूलाल मरांडी के नाम पर सहमति जताई।
बाबूलाल मरांडी की सरकार बनने के बाद दीपक प्रकाश संगठन के विस्तार में जुड़ गए लेकिन इसके बावजूद बाबूलाल मरांडी हर महत्वपूर्ण मौकों पर उनसे सलाह जरूर लेते है। प्रारंभ के दिनों में रघुवर दास की पकड़ संगठन में ज्यादा नहीं थी। रघुवर दास जमशेदपुर में टाटा कंपनी में नौकरी करते थे। बाद में वे चुनाव जीत कर आए। बाबूलाल मरांडी जब कैबिनेट विस्तार करने लगे तो दीपक प्रकाश ने रघुवर दास को मंत्री बनाये जाने का आग्रह संगठन की ओर से किया, जिसे बाबूलाल मरांडी ने स्वीकार कर लिया।
मधु कोड़ा को सक्रिय राजनीति में लाने का किया काम
बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश की जोड़ी ने ही लौह अयस्क खनन कार्य में लगे मजदूर नेता मधु कोड़ा को सक्रिय राजनीति में लाने का काम किया। उनके प्रयास से ही मधु कोड़ा को जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से टिकट मिला। हालांकि, बाद में अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में भाजपा से मधु कोड़ा की दूरियां बढ़ती गई और वे निर्दलीय चुनाव जीत कर आए। बाद में मुख्यमंत्री भी बने।
बाबूलाल मरांडी-दीपक प्रकाश के कार्यकाल में संगठन का विस्तार
बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश के कार्यकाल में झारखंड में भाजपा संगठन का विस्तार तेजी से हुआ। वर्ष 2005 में भी भाजपा को जब पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो बाबूलाल मरांडी और दीपक प्रकाश सक्रिय हुए। दोनों के प्रयास से ही निर्दलीय विधायक रहे मधु कोड़ा, हरिनारायण सिंह, भानू प्रताप शाही एनसीपी के कमलेश कुमार सिंह और झारखंड पार्टी के एनोस एक्का का समर्थन मिला। हालांकि, इस दौर में अर्जुन मुंडा की आक्रामक रणनीति के कारण बाबूलाल मरांडी पिछड़ गए। बाबूलाल मरांडी की जगह अर्जुन मुंडा ही फिर से मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे।
बाबूलाल और दीपक प्रकाश भाजपा से अलग हुए
वर्ष 2005 में भाजपा नेतृत्व ने जब बाबूलाल मरांडी की अनदेखी शुरू कर दी तो वे नाराज हो गए। कोडरमा लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद बाबूलाल निर्दलीय चुनाव लड़े और फिर से चुनाव जीतने में सफल रहे। बाद में बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक नामक अलग राजनीतिक दल बनाया। उस दौरान भी दीपक प्रकाश उनके साथ रहे लेकिन बाद में दीपक प्रकाश भाजपा में वापस लौट आए। बाबूलाल मरांडी 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद 2020 में वापस भाजपा में वापस आए।
बाबूलाल की भाजपा में वापसी में भी दीपक प्रकाश का योगदान
बाबूलाल मरांडी करीब डेढ़ दशक तक भाजपा से अलग रहे लेकिन वर्ष 2020 में भाजपा में बाबूलाल मरांडी को वापस लाने में भी दीपक प्रकाश की बड़ी भूमिका रही। दीपक प्रकाश को पार्टी नेतृत्व ने जहां 2020 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया, वहीं बाबूलाल मरांडी की भाजपा में वापसी के तुरंत बाद उन्हें विधानसभा में विधायक दल का नेता बना दिया गया। हालांकि, दलबदल कानून का मामला चलने के कारण अब तक उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया है। अब बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बन जाने के बाद उनकी जगह किसी अन्य दूसरे विधायक को विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाने की चर्चा शुरू हो गई है। (Input-HS)