Deoghar/Madhupur: मधुपुर को सैलानियों का शहर और न जाने क्या-क्या कहा जाता रहा है, पर यह प्रतिरोध का भी शहर है। विचारहीनता की आँधी चलती रहती है, पर यहाँ विचारों की लौ कभी बुझती नहीं। यहाँ अनेक कोने, अड्डे हैं, जहाँ बौद्धिक- सामाजिक, सांस्कृतिक लड़ाई लड़ने वालों को नई ऊर्जा मिलती है। ऐसी ही एक जगह है बावनबीघा-सोनारबंगला रोड़ में है।
झारखंड अध्ययन केन्द्र सह शोध संस्थान। यह महज पुस्तकालय नहीं है, यह संवाद और विमर्श का एक केंद्र है। देशभर भर के प्रगतिशील-जनपक्षधर विचारों को संजोने और उसे नये सिरे से प्रकाशित-प्रसारित करने का दायित्व भी इसने संभाला है। यही नहीं एक बेहतर दुनिया के निर्माण के उद्देश्य को लेकर जो भी लेखन चल रहा है, उसे प्रकाश में लाना और ख़ासकर नयी पीढ़ी तक पहुँचाना भी इसका लक्ष्य है।
यह पुस्तकालय यूँ तो संवाद का है, पर इसमें अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की किताबें भी उपलब्ध हैं। यहां गांधी, जेपी, लोहिया,कार्ल मार्क्स, लेनिन, फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा पर लिखा हुआ और ख़ुद उनका लेखन उपलब्ध है। वहीं राहुल सांकृत्यायन से लेकर एज़ाज अहमद तक के विचार मिलेंगे। झारखंड की राजनीतिक संस्कृति गतिविधियों पर सैकड़ों पुस्तकें हैं। भगत सिंह, जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहब आंबेडकर, राहुल सांकृत्यायन, पेरियार, सहजानंद सरस्वती का वैचारिक लेखन भी है। इसके अलावा हिंदी के चुनिंदा उपन्यास, कविता संग्रह और नाटक भी हैं।
समकालीन विषयों और जनांदोलनों पर सहज भाषा में देश भर के जाने-माने लेखकों-विचारकों-पत्रकारों द्वारा लिखी गयी अनेक किताबें हैं या उनके लेखों के संकलन हैं। यहां झारखंड पर विशेष सामग्री है। अगर आप देश और दुनिया को अपने नज़रिये से देखना चाहते हैं तो ये किताबें आपकी मदद करेंगी। मचआटांड़ निवासी अमित यादव, पथरचपटी निवासी मुकुंद झा, केला बागान निवासी सास्वत कुमार झा, गांगोमारनी निवासी अफजाल अंसारी, मोती प्रसाद यादव, बावनबीघा निवासी ममता कुमारी, थाना मोड़ निवासी संजीना का कहना है शांत वातावरण में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने के लिए सर्वोत्तम स्थान है। शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए यह पुस्तकालय मधुपुर में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
समाजकर्मी घनश्याम ने पुरस्कार की राशि से खोला पुस्तकालय
वर्ष 2004 में मधुपुर महुआडाबर गांव निवासी जेपी सेनानी घनश्याम को महाराष्ट्र में लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पुरस्कार में प्राप्त नगद राशि और समाजकर्मी घनश्याम द्वारा दी गई हजारों पुस्तकों से झारखंड अध्ययन केंद्र प्रारंभ किया गया। इसके साथ ही विचार आपके द्वार नामक पुस्तकालय शुरू किया गया जो पाठकों को घर-घर उनकी पसंद की पुस्तकें पहुंचाता।
मधुपुर में कभी पुस्तकालयों की समृद्ध परंपरा थी। प्रताप पुस्तकालय, लाजपत पुस्तकालय, शिवाजी पुस्तकालय, राहुल अध्ययन केंद्र, मिलन सिंह खलासी मोहल्ला, जितेंद्रनाथ पुस्तकालय, लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट, जयप्रभा जन केंद्र आदि। कालांतर में अधिकांश लुप्त हो गए। झारखंड अध्ययन शोध संस्थान वर्तमान में क्षेत्र की एकमात्र जीवंत पुस्तकालय है। वर्तमान में आज दर्जनों छात्र-छात्राएं प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं।