Ranchi: राज्यपाल राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है लेकिन झारखंड के वर्तमान राज्यपाल ने इससे कहीं आगे जाकर राज्य हित में एक मानक स्थापित किया है। राजभवन ने बीते छह माह में विसंगतियों के आधार पर कई महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्य सरकार को लौटाकर अपनी विधायी शक्तियों का अहसास कराया है। इतना ही नहीं बाकायदा त्रुटियों को इंगित करते हुए राज्य हित में विधेयकों में सुधार करने का सुझाव दिया है।
रमेश बैस ने झारखंड के 10वें राज्यपाल
रमेश बैस ने झारखंड के 10वें राज्यपाल के रूप में 14 जुलाई, 2021 को शपथ ग्रहण किया। तबसे लेकर आज तक उन्होंने राज्य के संवैधानिक प्रमुख की हैसियत से राज्य हित से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता दिखायी है। इसका नतीजा रहा कि झारखंड सरकार और उसके आला अफसर भी राजभवन के निर्देशों का पालन करने को विवश हुए।
राजभवन की सक्रियता के ताजा-तरीन मामले
-रांची में 10 जून को हिंसा और उपद्रव के बाद राजभवन की तरफ से भी डीजीपी, एसएसपी, एडीजीपी और डीसी को राजभवन तलब किया गया। पूरे घटनाक्रम पर जानकारी ली गयी। राज्यपाल की तरफ से उपद्रवियों के पोस्टर शहर में टांगने का निर्देश दिया गया। पुलिस-प्रशासन ने उनकी तस्वीरों के पोस्टर बनाकर रांची शहर में लगाए भी। हालांकि, सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा की आपत्ति के बाद इन्हें कुछ ही देर में उतार लिया गया। इसके पक्ष में पुलिस का कहना है कि कुछ तकनीकी त्रुटियों की वजह से पोस्टर उतारे गए।
-झारखंड सरकार ने पिछले साल जून में राज्य के जनजातीय परामर्शदात्री समिति के प्रावधानों में बदलाव किया था। राज्यपाल रमेश बैस ने इसपर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) के गठन में गवर्नर के अधिकारों की अनदेखी हुई है। बाद में यह मसला केंद्र के सामने भी गया। संसद में भी इसपर सवाल उठे। केंद्र सरकार ने इसे लेकर राज्य सरकार को पत्र भी लिखा था। इस मुद्दे पर गतिरोध आज भी कायम है।
-पिछले छह महीनों के दौरान राज्यपाल की तरफ से भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) निवारण विधेयक, पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक, झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 और झारखंड वित्त विधेयक 2021 राजभवन की तरफ से सरकार को वापस कर दिये गये हैं। इनमें में कई विधेयकों को भाषाई त्रुटियां की वजह से लौटाया गया है। अब सरकार को इन सभी विधेयकों को फिर से पास कराना होगा।
-झारखंड सरकार की नई आबकारी नीति, जेपीएससी के परिणामों में गड़बड़ी सहित कई अन्य मुद्दों पर भी राजभवन के अपने स्टैंड की वजह से सरकार के लिए असहज स्थितियां पैदा हुई हैं।