Ranchi: झारखंड के शहरी क्षेत्रों में आगामी 1 अप्रैल से बगैर लाइसेंस के तंबाकू उत्पादों (unlicensed tobacco products) की बिक्री नहीं की जा सकेगी। राज्य के सभी शहरी स्थानीय निकायों में तंबाकू विक्रेताओं के लिए वेंडर लाइसेंसिंग (vendor licensing) की प्रक्रिया अनिवार्य (mandatory) रूप से लागू कर दी गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की सहमति के बाद नगर विकास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे के हस्ताक्षर से इस संबंध में आदेश जारी किया जा चुका है। जिन दुकानों के पास तंबाकू उत्पाद का लाइसेंस होगा, वहां टॉफी, कैंडी, चिप्स, बिस्कुट, पेय पदार्थ या किसी भी तरह के फूड आइटम की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है। इसका उल्लंघन करने वाले पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। नगर विकास विभाग की ओर से जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर 18 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पाद बेचते हुए पकड़ाये तो सात साल की कैद की सजा हो सकती है। साथ ही एक लाख रुपये तक जुर्माना वसूला जायेगा।
सरकार ने ये नये नियम झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003, खाद्य संरक्षण अधिनियम 2008 एवं किशोर न्याय बाल देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत बनाये हैं। सरकार के आदेश के बाद विभिन्न नगर निगमों, नगरपालिकाओं में तंबाकू बेचने वाले वेंडरों को लाइसेंस देने के लिए अभियान शुरू किया जा रहा है।
नये आदेश के अनुसार सभी शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद नहीं बेचे जा सकेंगे। लाइसेंस लेने के साथ ही दुकानदारों को नियमों के पालन को लेकर शपथ पत्र भरना होगा। दुकानों में तंबाकू उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर भी रोक रहेगी। इसका उदेश्य अवयस्कों, युवाओं और जनसामान्य द्वारा तंबाकू उत्पाद के उपयोग को रोकने, हानिकारक लत से बचाना तथा तंबाकू उत्पादों के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध लगाना है। भारत सरकार ने इन उत्पादों का विक्रय करने के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को अपनाने का सुझाव दिया था। इसी आलोक में राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है।
बता दें कि एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि झारखंड में 50.1 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। तंबाकू का सेवन करने वाले पुरुषों का प्रतिशत 63.6 है, जबकि ऐसी महिलाओं का 35.9 प्रतिशत है।(IANS)