मधुपुर/देवघर: सोशल मीडिया पर नगर उपाध्यक्ष सह अध्यक्ष जियाउल हक उर्फ टार्जन के द्वारा किए गए एक पोस्ट ने मधुपुर के सभी पत्रकारों एवं अन्य लोगों में हलचल मचा दिया।
फेसबुक के जरिए नगर उपाध्यक्ष टार्जन ने लाइव आकर जब एक सूचना दी कि मधुपुर के एक जाने-माने पत्रकार के पिता महीनों से सड़क किनारे जिंदगी बिताने को मजबूर हैं और उनकी स्थिति आज बीमारी के कारण काफी नाजुक हो गयी है। जैसे ही लोगों ने इस पोस्ट को देखा पूरा पत्रकारों का हुजूम मधुपुर नगर पालिका मध्य विद्यालय के सामने उक्त स्थल पर, जहां बुजुर्ग बीमार पड़े थे, वहां जा पहुंचा।
दो दिनों से भूखे हैं, बिगड़ी हालत
इस संबंध में वहां के लोगों ने बताया कि यह महीनों से यहां रह रहे हैं, लेकिन इनको देखने वाला कोई नहीं। इधर, इनकी हालत पिछले 2 दिनों से काफी बिगड़ गई है। इन्होंने 2 दिनों से कुछ खाया पिया भी नहीं है। लोगों ने बताया कि जब फोन पर इनके बेटे को इसकी सूचना दी तो उसने कहा कि मैं अभी पटना में हूं अभी नहीं आ सकता ।
क्या कहा नगर उपाध्यक्ष टार्जन ने
नगर उपाध्यक्ष टार्जन ने कहा कि मुझे कुछ पत्रकार साथियों ने इसकी सूचना दी। जैसे ही मुझे यह सूचना मिली मैं सब काम छोड़ कर यहां पहुंचा। यहां की स्थिति देखकर मेरा रोम-रोम सिहर उठा और मैंने सोशल मीडिया के जरिए लोगों का यह बताया कि ऐसे पुत्र से पुत्र ना होना अच्छा है। ऐसे लड़के को सामाजिक बहिष्कार कर देना चाहिए जिसने अपने पिता को इस हालत में पहुंचाया है। यदि हम अपने माता पिता की देखभाल नहीं कर सकते, तो हम किसी दूसरे पर कैसे उंगली उठा सकते हैं।
जानकारी मिलते ही पहुंचे SDO
वहीं, जानकारी मिलते ही मौके पर मधुपुर अनुमंडल पदाधिकारी योगेंद्र प्रसाद भी पहुंचे। बीमार बुजुर्ग की स्थिति देख तुरंत उन्होंने अनुमंडल अस्पताल से एम्बुलेंस लाकर उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाया
क्या कहा अनुमंडल पदाधिकारी योगेंद्र प्रसाद ने
मधुपुर अनुमंडल पदाधिकारी योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि मुझे जैसे ही सूचना मिली की उनकी हालत ऐसी है। मैंने तत्काल अनुमंडल अस्पताल को यह निर्देश दिया की वह जल्द से जल्द जाकर उन्हें वहां से लाकर अस्पताल में एडमिट कराएं। उसके बाद मुझसे रहा नहीं गया। मैं खुद अनुमंडल अस्पताल गया और अपने साथ एंबुलेंस लेकर उक्त स्थल पर पहुंचा और उन्हें वहां से ले जाकर अस्पताल में एडमिट करवाया।
बेटे ने कहा- पिता घर जाना ही नहीं चाहते
बीमार बुजुर्ग के पत्रकार पुत्र से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें घर ले जाने का कई बार प्रयास किया, लेकिन वह घर जाना ही नहीं चाहते। मैंने एक बार उन्हें फोर्टिस अस्पताल में ले जाकर उनका इलाज भी करवाया, लेकिन वहां से आने के बाद फिर वह घर में नहीं रहने लगे। बेटे ने बताया कि पिता का कहना है कि मेरी पूरी जिंदगी इस विद्यालय में काम करते हुए कटी है। मैं इसी के सामने रहूंगा।
बहरहाल, इस घटना के प्रकाश में आने से मानवीय रिश्ता तार-तार जरूर हुआ है। वहीं, जियाउल हक़ ने बाद में अपना लाइव पोस्ट फेसबुक से डिलीट कर दिया।