नई दिल्ली: आज की बचत कल काम आती है। आम आदमी के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना स्वरूप उपयुक्त पंक्ति किसी चमत्कारिक मंत्र से कम नहीं। शायद बचत की इसी अहमियत को देखते हुए 31 अक्तूबर की तिथि को अंतराष्ट्रीय बचत दिवस घोषित किया गया होगा। अलबत्ता भारत में हर वर्ष 30 अक्तूबर को राष्ट्रीय बचत दिवस मनाया जाता है।
हर साल भारत में 30 अक्टूबर को ‘विश्व बचत दिवस’ (World Savings Day) मनाया जाता है। पूरी दुनिया में यह दिन 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। आपको बता दें कि 1924 में एक समारोह शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य बचत के मूल्यों को बढ़ावा देना और बैंकों के नागरिकों के आत्मविश्वास को पुनः स्थापित करना था। आज विश्व बचत दिवस (World Savings Day) के मौके पर हम आपको इससे जुड़ीं कुछ अहम जानकारी दे रहे है।
आईये जानते है….
इटली के मिलान में अंतर्राष्ट्रीय बचत बैंक में आयोजित प्रथम कांग्रेस के दौरान यह दिवस शुरू किया गया था। विधानसभा का अंतिम दिन विश्व बचत दिवस के रूप में घोषित किया गया था। विश्व बचत दिवस की अवधारणा को संयुक्त राज्य और स्पेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बैंकों द्वारा अपनाया गया था।
राष्ट्र के लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर को बढ़ावा देने के लिए बैंक ने इस अवधारणा का सुझाव दिया। विश्व बचत दिवस को पहली बार 1921 में छुट्टी के रूप में उत्सव के रूप में शुरू किया गया था। हालांकि इस अवधारणा को अन्य देशों के बैंकों द्वारा समर्थित किया गया था लेकिन हर जगह इस अवधारणा को लागू करना मुश्किल था।
जर्मनी को नागरिकों को बचत के लिए खुश करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि जर्मनी के नागरिकों ने मौद्रिक सुधार की नीतियों की वजह से 1923 में अपनी बचत खोने के बाद बैंकों पर भरोसा नहीं किया था।
क्या है इसका इतिहास
अंतराष्ट्रीय बचत दिवस की स्थापना 30 अक्टूबर, 1924 को इटली के मिलान में हुई थी। पहली विश्व बचत बैंक कांग्रेस (World Society of Savings Banks) के काल हुई थी। कांग्रेस के अंतिम दिन इतालवी प्रोफेसर फिलिपो रवीज़ा ने इस दिन को विश्व बचत दिवस’ के रूप में घोषित किया था। कांग्रेस के प्रस्तावों में इस बात पर फैसला लिया गया कि ‘विश्व बचत दिवस’ को पूरी दुनिया में बचत को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया जाएगा। इसका मकसद लोगों में बैंकों के प्रति विश्वास को बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित करना था, जो प्रथम विश्व युद्ध के बाद लगभग समाप्त हो चुका था। शुरूआती दौर में जनता को स्कूलों, कार्यालयों, महिला संघों, खेल आदि के समर्थन के माध्यम से पैसे बचाने के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सेविंग लोगोँ की जरूरत बन गई।
महत्व
बचत के मायने ही है कि संसाधनों का समझदारी और सावधानी से उपयोग करे, ताकि आपातकाल में यह काम आये। सर्वविदित है कि वित्तीय संसाधन सीमित हैं, इसलिए हाई- फाई जीवन शैली और देश की अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए धन की सुरक्षा जरूरी हो जाता है। इसलिए, विश्व बचत दिवस देश की वित्तीय सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
उद्देश्य
इस दिन को सेलीब्रेट करने का मुख्य मकसद बचत के महत्व का प्रचार-प्रसार बढ़ावा करना है। मनी सेविंग की सीख हमें अपने से बड़ों से सीखने को मिलती है। आज के परिप्रेक्ष्य में यह जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता हो गई है। क्योंकि एक आम से लेकर खास आदमी के लिए धन की अहमियत बढ़ गई है। यह बचत निजी जीवन में ही नही देश के संचालन अथवा विकास में भी अहम भूमिका निभाता है।