रांची: आदिवासियों की जमीन लूट से बचाने के लिए उठे मुद्दे पर बुधवार को सीएम हेमंत सोरेन ने एक विधानसभा समिति बनाकर जांच करने पर सहमति जतायी। विधानसभा की कमेटी पर जिम्मेदारी होगी कि राज्य के तमाम जिलों में जाकर आदिवासी जमीन के हस्तांतरण के कागजात जांचे और रिपोर्ट सौंपे। अब सवाल ये है कि बीजेपी द्वारा हेमंत सोरेन एंड फैमिली पर भी आदिवासियों की जमीन लूट का आरोप लगाया जाता रहा है तो क्या ये कमेटी इसकी भी जांच करेगी?
दरअसल, झारखंड विधानसभा में मॉनसून सत्र के चौथे दिन बुधवार को सभा की कार्यवाही शुरू होने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोबिन हेम्ब्रम के प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी भूमि की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट जैसे कठोर प्रावधान प्रभावी है, इसके बावजूद दस्तावेज में हेरफेर कर आदिवासी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है। राज्य सरकार चाहती है कि पूरे मामले की निष्पक्ष हो, इसके लिए विधानसभा की विशेष कमेटी का गठन कर जांच की जिम्मेवारी सौंपनी चाहिए।
इससे पहले जेएमएम के स्टीफन मरांडी ने कहा कि पूरे राज्य में इस तरह से आदिवासी जमीन का अतिक्रमण हो रहा है। इसलिए विधानसभा की विशेष समिति गठित कर सभी जिलों के उपायुक्त से रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार के कई कठोर कानून के बावजूद आदिवासी जमीन पर अवैध कब्जा रूक नहीं रहा है,इसलिए सख्त कार्रवाई जरूरी है। विधायक प्रदीप यादव ने भी इसका समर्थन किया।
सीएम हेमंत सोरेन ने इस मामले पर एक विधानसभा समिति बनाकर ऐसे मामलों की जांच करने पर सहमति जतायी। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद विधानसभा की तरफ से जल्द ही कमेटी गठित की जा सकती है। जैसी कि परिपाटी रही है, ऐसी कमेटी में पक्ष-विपक्ष दोनों के विधायक शामिल रहेंगे। विधानसभा की कमेटी पर जिम्मेदारी होगी कि राज्य के तमाम जिलों में जाकर आदिवासी जमीन के हस्तांतरण के कागजात जांचे और रिपोर्ट सौंपे।
अब सवाल यह है कि बीजेपी की ओर से हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर सीएनटी-एसपीटी एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन के जो आरोप लगाये जाते रहे हैं, क्या विधानसभा की कमेटी उनकी भी जांच करेगी?
हेमंत सोरेन और उनका परिवार मूल रूप से रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत नेमरा गांव का रहनेवाला है। सीएनटी-एसपीटी एक्ट में यह प्रावधान है कि कोई आदिवासी अपने मूल थाना क्षेत्र की सीमा के बाहर जाकर आदिवासी भूमि नहीं खरीद सकता है। भाजपा उनपर इस प्रावधान के उल्लंघन का आरोप लगाती रही है।
पिछली बीजेपी सरकार ने तो रांची जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो के डीसी को पत्र लिखकर सोरेन परिवार द्वारा सीएनटी एक्ट के उल्लंघन की शिकायतों की जांच करने का निर्देश भी दिया था। हालांकि उस जांच का क्या हुआ, पता नहीं चला।
पूर्व सांसद समीर उरांव ने पूर्व मुख्य सचिव डीके तिवारी से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में सीएनटी की धारा-46 के प्रावधानों का हवाला दिया गया था। इसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों में शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, कल्पना मूर्मू, सीता मूर्मू, बसंत सोरेन व स्व. दुर्गा सोरेन के नाम से सैकड़ों एकड़ आदिवासी जमीन अवैध रूप से खरीदने का आरोप लगाया गया था। ज्ञापन में इन जमीनों की खरीद की जांच की मांग भी की गई थी।
बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने करीब दो साल पहले बोकारो में सोरेन परिवार पर एक ही दिन में 16 प्लॉट की रजिस्ट्री कराने का आरोप लगाया था। आरोप लगाते हुए प्रतुल ने कहा था कि सीएनटी-एसपीटी कानून के प्रावधानों में यह स्पष्ट है कि एक राजस्व थाने के बाहर जमीन नहीं खरीदी जा सकतीं। फिर, सात-सात जिलों में कैसे संपत्ति खरीदी गई। दावा किया गया कि बोकारो में सोरेन परिवार ने एक दिन ही 16 प्लॉट की रजिस्ट्री कराई है। प्रतुल शाहदेव ने कहा था कि झारखंड में एक दिन में किसी एक व्यक्ति का इतनी रजिस्ट्री होने का दूसरा इतिहास नहीं है। इसलिए उन्हें इसे ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज कराने का आवेदन देना चाहिए।
बीजेपी के संताल परगना के सह प्रभारी रमेश हांसदा ने आरोप लगाया था कि सोरेन परिवार ने राज्य के कई जिलों में आदिवासियों से औने-पौने दाम में जमीन लिखवा ली है। आरोप था कि सोरेन परिवार ने 33 डीड के जरिए कुल 13 एकड़ जमीन गरीब आदिवासियों से लिखवाई है, जो कि CNT-SPT एक्ट का उल्लंघन है। बीजेपी ने हेमंत सोरेन से पूछा था कि वे बताएं कि वे किस थाना क्षेत्र के निवासी हैं?
रमेश हांसदा ने आरोप लगाया था कि हेमंत ने पत्नी कल्पना सोरेन के नाम पर रांची में जमीन खरीदी है। 2009 में हेमंत ने जमीन मालिक को महज 9 लाख रुपये दिये थे, जबकि जमीन की वास्तविक कीमत 80 लाख थी।
रमेश हांसदा ने ये भी आरोप लगाया कि 33 डीड के जरिए हेमंत सोरेन ने धनबाद के गोविंदपुर और बोकारो, रांची के अरगोड़ा और अनगड़ा, चास के कमलडीह, दुकरा, बरवा और दमकोला में जमीन खरीदी है जो कि CNT-SPT एक्ट का उल्लंघन है।