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Congress अब मरती हुई पार्टी है उसका मोह प्रगतिशील लोगों को अब छोड़ देना चाहिए…..

कांग्रेस की हालत उस आलसी मगरमच्छ की तरह है जो भूख लगने पर तालाब में मुंह खोल कर पड़ा रहता है कोई मछली उसमे आ गईं तो ठीक न आई तो भी ठीक.

By: Girish Malviya

कांग्रेस (Congress) अब मरती हुई पार्टी है उसका मोह प्रगतिशील लोगो को अब छोड़ देना चाहिए……. कांग्रेस की हालत उस आलसी मगरमच्छ की तरह है जो भूख लगने पर तालाब में मुंह खोल कर पड़ा रहता है कोई मछली उसमे आ गईं तो ठीक न आई तो भी ठीक… अपनी तरफ से कोई एफर्ट उसे नहीं करना है,  लोकसभा में जो उसकी जो बुरी गत बनी है। उससे सभी वाकिफ है। लेकिन कुछ वर्षो से विधानसभा चुनावो में लगातार उसकी दुर्गति हो गई है……

पिछले दो सालो में दस विधानसभा चुनावों में एक भी नया मुख्यमंत्री कांग्रेस का नहीं बना है। कल जो हालत हुई है वो तो आपके जहन में है ही आपको याद दिला दूं कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटें मिलीं, जबकि वह राजद के साथ गठबंधन में 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। यानि आरजेडी को भी उसी ने डुबा दिया, हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे।

आइए एक बार जरा पांच विधान सभा इलेक्शन में घटते हुए कांग्रेस के वोट शेयर पर नजर डाल लीजिए। उत्तर प्रदेश को बाद में देखेंगे पहले गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड को देखिए जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति मे कभी रहा करती थी।

गोवा में कांग्रेस को 2012 में 30.8 प्रतिशत वोट मिला था। 2017 में काग्रेस पार्टी को 28.4 प्रतिशत वोट और 17 सीटें मिली हैं। कांग्रेस उस वक्त सिंगल लार्जेस्ट पार्टी थी। जोड़तोड़ कर बीजेपी ने तब भी सरकार बना ली। अभी जो चुनाव हुए है उसमे 23 .46 वोट प्रतिशत आया और 11 सीट मिली, यानी वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है। उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बना रही है।

मणिपुर में कांग्रेस को जहां 2012 में 42.4 प्रतिशत वोट और 42 सीटें मिली थी, वहीं 2017 में  उसका वोट घटकर 35.1 प्रतिशत रह गया उसे तब 28 सीटें मिली थी। लेकिन इस बार मणिपुर में उसे मात्र 17 प्रतिशत वोट है और सीटो की गिनती सिर्फ 5 है।

पंजाब में 2012 में कांग्रेस को 40 प्रतिशत वोट और 46 सीटें मिली थीं 2017 में पार्टी को 38.5 प्रतिशत वोट और 77 सीटें मिली थी। कल पंजाब में कांग्रेस 23 प्रतिशत वोट और 18 सीटो पर सिमट गई।

उत्तराखंड में 2012 में कांग्रेस को 34 प्रतिशत वोट मिले थे और पार्टी के खाते में 32 सीटें आई थी। 2017 मे कांग्रेस के वोट शेयर में सिर्फ 0.5 प्रतिशत की कमी आई लेकिन 21 सीटें घट गईं। 2022 में काग्रेस का वोट 38 प्रतिशत वोट आया लेकिन सीटे 19 ही आई।

अब उत्तर प्रदेश को देखिए इतने महत्वपूर्ण राज्य में कांग्रेस को 2012 में 11.5 प्रतिशत वोट और 28 सीटें मिली थी। जबकि 2017 में कांग्रेस पार्टी को उससे लगभग आधे यानि  6.2 प्रतिशत वोट मिले और सिर्फ 7 सीटों से संतोष करना पड़ा। 2022 में तो उसकी भयानक दुर्गति हुई है उसे पिछली बार के भी आधे यानि 2.35  प्रतिशत वोट पर ही संतोष करना पड़ा और उसे मात्र 2 सीट मिली।

उसके प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जो कि लगातार दो बार से विधायक थे। तमकुहीराज विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रियंका गांधी को ठीक ही कहा कि जब वह यूपी में आई थीं तो कहा गया था कि वे कांग्रेस में जान फूंकने आई हैं, लेकिन वह कांग्रेस को ही फूंक कर चली गईं।

पिछले एक दो साल में कई प्रमुख युवा नेता कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल को थाम चुके हैं अगर अब भी कांग्रेस अपने ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन नहीं लेकर आती हैं और फीनिक्स पक्षी की भांति राख से उठकर खड़ी नही हो रही है तो उससे उम्मीद लगाना बेकार है।

(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण ‘N7India.com’ के नहीं हैं और ‘N7India.com’ इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।)

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