गिरिडीह।
अल्पवृष्टि ने इस साल गिरिडीह के किसानों की पेशानी पर बल ला दिया है। यह वर्ष किसानों के लिए घाटे का साबित हुआ है। किसानो को इस साल लगभग सभी फसलों की खेती में घाटा ही लग रहा है। गिरिडीह जिले में अल्पवृष्टि से 50 फीसदी फसल का नुकसान हुआ है लिहाजा कृषक इसे प्राकृतिक आपदा की गृद्ध दृष्टि करार दे रहे है।
कभी ठंड से मक्के व ज्वार की फसल बर्बाद होती थी. अब धान की फसल में सुखाड़ का कुप्रभाव नजर आने लगा है। इस वर्ष कम वर्षा के कारण धान की फसल के उत्पादन से बेहद कम होने के आसार दिख रहे हैं,जिससे किसानों के चेहरे फसल की तरह ही मुरझाए हुए हैं। बारिश की कमी के कारण उत्पादन गत वर्ष की तुलना में आधे से भी कम होने का अनुमान है। बारिश के अभाव में खेतों में लगी धान की फसल में आया पीलापन यह बताने के लिए काफी है कि इस बार धान का उत्पादन कितना होगा। फसल नुकसान होने से किसानो में भूखे मरने की नौबत आ गयी है. महाजन से कर्ज लेकर फसल लगाने वाले कृषक प्राकृतिक आपदा के कारण आत्महत्या करने की बात सोच रहे है.
50 फीसदी से अधिक फसल नुकसान होने पर किसानों का कहना है कि अब धान की फसल भी दगा दे गई। जिले के विभिन्न क्षेत्रो में कहीं-कहीं धान कटनी आरंभ हो चुकी है। लेकिन कई खेतों में धान की फसल में बाली तक नहीं उगे हैं। वहीं कई खेतों में धान की फसल आधे से ज्यादा सूख चुके हैं। किसान मौसम के साथ-साथ अपनी किस्मत को कोस रहे हैं।
किसानों का कहना है उसने बैंक से लोन लेकर कृषि कार्य प्रारंभ किया था। लेकिन बारिश ने ऐसा गच्चा दिया कि सब कुछ बर्बाद हो गया। अब सबसे बड़ी चिंता कि वो खायेंगे क्या और बैंक का लोन चुकाएंगे कैसे?
इधर, कृषि पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार पांडेय भी मानते हैं कि अल्प वृष्टि ने फसल का नुकसान किया है। इनके अनुसार इस वर्ष औसत से काफी कम बारिश हुई है। जिसका असर धान की खेती पर व्यापक रूप से पड़ा है। खासकर जिले के 3 प्रखंडो के धान उत्पादन पर गहरा असर पड़ेगा। इसको लेकर विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
बहरहाल,फसलों की बेरंग सूरत से किसानों के चेहरे को पूरी तरह से मुरझा दिया है।जल्द ही इन्हें सरकारी मदद नही मिला तो वह दिन दूर नही जब पंजाब और महाराष्ट्र के किसानों की कहानी यहां भी सुनने को मिले।