New Delhi: गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर झारखंड राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव सहित एसपी सहित जिले के वरीय अधिकारियों पर विशेषाधिकार और प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। साथ ही सभी के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए प्रीविलेज लाने का प्रस्ताव दिया है।
सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने पत्र में कहा है कि दिसंबर 2019 में झामुमो की सरकार बनने के बाद भाजपा के विधायकों व सांसदों के खिलाफ शर्मनाक नीति शुरू की गयी है। मुख्य सचिव सहित सभी जिलों के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भाजपा से संबंधित निर्वाचित प्रतिनिधियों को किसी भी कीमत पर उनके निर्वाचन क्षेत्रों में काम करने की अनुमति नहीं दी जाये। आवश्यक हो तो एफआइआर का सहारा लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान प्रशासन ने मेरे व मेरे परिवार के ऊपर 35 केस दर्ज किये। मेरे प्रति इतनी शत्रुता है कि मेरे जीवन को गंभीर खतरा होने की खुफिया जानकारी भी मिली है, कहने की जरूरत नहीं है कि झारखंड राज्य सरकार के लगभग सभी अधिकारियों द्वारा मेरे प्रति प्रदर्शित इस प्रकार के प्रतिशोधी रवैये का गंभीर विशेषाधिकार के उल्लंघन और प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन के रूप में गहरा अर्थ था।
सांसद ने स्पीकर से आगामी बजट सत्र के दौरान इस मामले को सदन में उठाने की इजाजत मांगी है, ताकि देश को यह पता चल सके कि अलग राजनीतिक दल के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कैसे झूठी एफआइआर दर्ज करायी जा रही है।
हाल के दो घटनाओं का किया जिक्र:
सांसद डॉ दुबे ने अपने पत्र में स्पीकर का ध्यान हाल की दो घटनाओं की ओर आकर्षित कराया है। कहा है कि एक बार जब वे जरमुंडी की ओर जा रहे थे तो सड़क पर गायों की भीड़ देखी। ट्रैफिक जाम था। चूंकि मैं लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग समिति का अध्यक्ष भी हूं, इसलिए मैंने उपलब्ध अधिकारियों से घटना के बारे में जानने की कोशिश की, मुझे बताया गया कि कुछ गो तस्करों को स्थानीय पुलिस व क्षेत्र के निवासियों ने पकड़ा है। मैंने अपने समर्थकों के स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों को दोषियों को पकड़ने में मदद की। लेकिन मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि बाद में उन्हीं अधिकारियों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर मुझे और मेरे समर्थकों के नाम से एक प्राथमिकी दर्ज कर दी।
दूसरी घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि देवघर के टावर चौक पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग की आड़ में जबरन बाइक व स्कूटर सवार की चाबियां ली जा रही थीं। पैसे ऐंठे जा रहे थे। पुलिस की इस जबरदस्ती के बारे में आरएसएस के एक वरिष्ठ सदस्य का फोन आया। जब मैं स्थल पर पहुंचा तो मैंने ट्रैफिक नियम को समझाने की भी कोशिश की। पुलिस अधिकारियों से कहा कि यदि वे वाहनों की जांच करना चाहते हैं, तो वे सत्यापन कर सकते हैं। दस्तावेजों में कोई कमी पाएं जाने पर वाहन मालिकों का चालान करें. इस तरह से जबरन चाबियां लेना कानून के खिलाफ है। यह बात सुनकर स्थानीय पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे व अपनी गलती स्वीकार कर ली और मुझे लगा कि मामला सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझ गया है. बाद में पता चला कि न सिर्फ मेरे खिलाफ, बल्कि आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी और पार्टी के अन्य कार्यकर्ता खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की गयी है। उन्होंने पत्र में कहा है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान मैंने झारखंड के विभिन्न अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और प्रोटोकॉल मानदंडों के उल्लंघन को लेकर मेरे व मेरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करने सहित कई शिकायतें की थी।
सांसद ने स्पीकर से कहा है कि आपकी कृपा थी कि आपने झारखंड प्रशासन के अधिकारियों की मनमानी की जांच संसदीय विशेषाधिकार समिति से कराने का आदेश दिया। हालांकि जब भी ये अधिकारी समिति के सामने पेश हुए, उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और बिना शर्त माफी के साथ-साथ एक गंभीर प्रतिबद्धता भी जतायी कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए उचित संयम दिखायेंगे कि मुझे इस तरह के उत्पीड़न और अनावश्यक कानूनी जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।