Deoghar: देवी के चमत्कार की कई कहानियां आपने सुनी और पढ़ी होगी। लेकिन, देवघर शहर से 7 किलोमीटर दूर स्थित रोहिणी दुर्गा मंदिर में जहां अंग्रेजों के शासनकाल से भी पहले से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। कहा जाता है कि यह दुर्गा मंदिर इसलिए खास है क्योंकि यहां पर मां दुर्गा ने अंग्रेजों को अपनी शक्ति का प्रभाव दिखाया था।
जानकर बताते हैं कि अंग्रेज शासन काल में अंग्रेज घुड़सवार इस मंदिर के पास आए थे और मां दुर्गा की मिट्टी की मूर्ति देखकर इसका उपहास उड़ाया था और कहा कि मिट्टी की क्यों पूजा करते हो। इसके बाद पुरोहित के द्वारा मां की विशेष आराधना की गई और कुछ ही समय में मां दुर्गा की मूर्ति के दाएं ओर स्थित गणेश की मूर्ति बायें ओर चली आई और बाएँ ओर स्थित भगवान कार्तिक की मूर्ति दाहिनी ओर चली आई। इसके बाद अंग्रेजी शासन भी मां की भक्ति में लीन हो गए थे।
इस घटना के बाद दुर्गा मंदिर की ख्याति काफी बढ़ गई। रोहिणी के 40 कोस में इस मंदिर की ख्याति है। यहीं से बाबा मंदिर के लिए सिंदूर जाता है। आज भी देवघर के रोहिणी में माता दुर्गा की मूर्ति में वही पुरानी परंपरा की झलक देखने को मिलती है।
कहा जाता है कि यहां मांगी गई हर मन्नत मां दुर्गा जरूर पूरा करती है। यहां पर तांत्रिक विधि से पूजा होती है। नवरात्रि के मौके पर यहां का माहौल काफी भक्ति में हो जाता है। दूर-दराज से लोग माता के चमत्कार देखने और यहां की कहानी सुनाने चले आते हैं।
रोहिणी दुर्गा मंदिर में सैकड़ो सालों से माँ की आराधना हो रही है। पुरोहित यह भी बताते हैं कि देवघर में मां दुर्गा के प्रतिमा स्थापित कर पूजन की प्रक्रिया भी इसी मंदिर से शुरू हुई। इसके बाद ही देवघर के अन्य जगहों पर पूजा पंडाल बनाने और माता की आराधना का सिलसिला शुरू हुआ था।
पुरोहित बताते हैं कि यहां पर तंत्र विधि से पूजा होती है और यह काफी जागृत मंदिर है। लोग अपनी मनौतियों को पूरा करने के लिए यहां आते हैं और मां भी उनकी मनौती यहां जरूर पूरी करती हैं।