Ranchi : देवघर में शिव बारात के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए पाबंदियों के खिलाफ दायर सांसद निशिकांत दुबे की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई।दाखिल जनहित याचिका को झारखंड हाईकोर्ट ने निष्पादित कर दिया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने देवघर डीसी से विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर पूरी जानकारी ली। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने देवघर ज़िला प्रशासन के आदेश दिया कि बारात निकलने के दौरान आम लोगों को परेशानी न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाए।
कोर्ट ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा देवघर में शिव बारात निकाले जाने का रास्ता नहीं बदला जा सकता है। क्योंकि जिला प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से वर्षों से यह रास्ता तय कर रखा है, केवल कोविड के दौरान यह रास्ता नहीं लिया गया था। इसलिए प्रार्थी द्वारा शिव बारात का रास्ता बदलने के आग्रह पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
डीसी द्वारा कोर्ट को मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन बताया गया कि धारा 144 शिव बारात के रास्ते पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से लगाया गया है। शिव बारात के सुरक्षा को लेकर देवघर जिला प्रशासन को कुछ आउटपुट मिला था, इसे लेकर धारा 144 लगाया गया। ऐसा कहीं नहीं है कि पूरे देवघर में धारा 144 होने से 5 या 6 आदमी एक साथ एकत्रित नहीं हो सकते हैं। कोर्ट ने समाचार पत्रों एवं अन्य संचार माध्यमों के माध्यम से देवघर डीसी को आज से यह प्रचार प्रसारित करने को कहा है कि देवघर में कहीं भी सीमित संख्या में लोगों के रहने को लेकर धारा 144 जैसा आदेश लागू नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट में बहस की। प्रार्थी सांसद निशिकांत दुबे की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव, दिवाकर उपाध्याय और अधिवक्ता पार्थ जालान ने पक्ष रखा।
बता दें कि जिला प्रशासन द्वारा जारी शिव बारात से जुड़े नियमों और रूट से संबंधित नोटिफिकेशन के खिलाफ गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और शिव बारात आयोजन समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इस जनहित याचिका में सांसद निशिकांत ने देवघर जिला प्रशासन द्वारा महाशिवरात्रि पर शिव बारात को लेकर धारा 144 लगाने एवं शिव बारात का मार्ग बदलने का विरोध किया। साथ ही जिला प्रशासन के इस आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया था।