Deoghar: इस बार देवघर में हो रहे शिवबारात के आयोजन को लेकर सांसद निशिकांत दुबे और जिला प्रशासन आमने-सामने हैं। जिला प्रशासन के आदेश के खिलाफ सांसद निशिकांत ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी है।
बुधवार को देवघर पहुंचे सांसद निशिकांत दुबे ने प्रेसवार्ता कर साफ कहा है कि हेमन्त सरकार और उन्हें सहयोग करने वाले देवघर जिला प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ वो हर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। ये शिव की नगरी है और यहां शिवभक्तों को उनकी पूजा करने या शिवबारात में शामिल होने से नहीं रोका जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जब सीएम की राजनीतिक यात्रा के लिये किसी तरह की परमिशन नहीं ली गयी तो शिव की नगरी में शिवबारात के लिए हर चीज़ की परमिशन जिला प्रशासन लेने को क्यों कह रही। वो भी इस तरह की परमिशन कि शिवबारात में कितनी गाड़ियां शामिल होगी। जो आयोजन समिति कैसे बता पाएगी कि आखिर कौन कितने वाहनों के साथ शामिल होगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की इस तानाशाही और हिन्दू विरोधी मानसिकता जिसमें देवघर जिला प्रशासन साथ दे रहा है को लेकर आज शिवबारात आयोजन समिति के साथ बैठक हुई है बैठक में ये निर्णय लिया गया है कि अब जिला प्रशासन के साथ किसी तरह का सहयोग आयोजन समिति नहीं करेगी। अब जो उच्च न्यायालय का फैसला होगा कमिटी उसे ही मानेगी।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन के आदेश के खिलाफ उन्होंने और शिवबारात कमिटी के अध्यक्ष ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
सांसद ने बताया कि शिवबारात कमिटी ने जो रुट तय किया है वह रुट चौड़ा है। उसमें दुर्घटना की कम संभावना है। पहले छोटा रुट इसलिए था क्योंकि रेलवे क्रोसिंग आ रहा था। अब सत्संग में आरओबी बन चुका है। जिससे भीड़ को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी और न ही जगह-जगह बारात के जाम लगने की स्थिति पैदा होगी।
वहीं प्रशासन द्वारा धारा 144 लगाने पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि पूरे अनुमंडल क्षेत्र में अगर धारा 144 लागू रहेगी तो महाशिवरात्रि पर यहां आने वाले श्रद्धालु बाबा की पूजा अर्चना कैसे कर पाएंगे। क्योंकि श्रद्धालुओं की संख्या तो हजारों में होगी। सांसद ने कहा कि यह आदेश सिर्फ शिवबारात रोकने के लिये नहीं है बल्कि शिवरात्रि पर शिवभक्तों को बाबा की पूजा करने से रोकने के लिये भी है।
पत्रकारों से बात करते हुए सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर ज्यादा पेच शिवबारात आयोजन को लेकर जिला प्रशासन करेगा तो वो आमरण-अनशन भी कर सकते हैं। शिवबारात को लेकर राजनीति से ऊपर उठने की जरूरत है न कि इस तरह की मानसिकता रखने की।