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15 फरवरी से पूरे Jharkhand में बंद रहेंगे खाद्यान्न व्यापार, कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक का विरोध

Deoghar: कृषि उपज एवं पशुधन विपणन बिल को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद पूरे झारखण्ड के व्यापारी उद्वेलित हो आन्दोलन का रुख कर लिया है। संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज देवघर के अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने बताया कि आज 8 फरवरी को सभी जिलों की तरह देवघर में भी खाद्यान्न व्यापार और उत्पादन बन्द रहे। उधर रांची में फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैम्बर के अध्यक्ष किशोर मंत्री की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय व्यापारियों का सम्मेलन कर बिल के विरोध की रणनीति बनाई गई।

देवघर में खुदरा दुकानदार संघ के सचिव संजय बर्णवाल, संजय रूंगटा, पवन बर्णवाल, अनिल केशरी, थोक खाद्य विक्रेता पंकज भालोटिया, अर्जुन अग्रवाल, बाजार समिति के व्यापारी, राइस मिल एसोसिएशन के सदस्य बन्दी को सफल करने में लगे थे तो दूसरी ओर संप चैम्बर के अध्यक्ष आलोक मल्लिक की अगुवाई में राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश बाजला, देवघर चैम्बर के अध्यक्ष रवि केशरी, राजकिशोर चौधरी, प्रदीप खेतान, गणेश भालोटिया, राजेश टिबड़ेवाल, राजेश जैन और पशुआहार व्यवसायी अशोक जैन रांची में राज्यस्तरीय सम्मेलन में देवघर को प्रतिनिधित्व कर रहे थे। चैम्बर अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने बताया कि राज्यस्तरीय बैठक में फेडरेशन के अधिकारियों, पूर्व अध्यक्षों तथा सभी जिलों और रांची के चैम्बर और व्यापारियों की बैठक के बाद निम्न प्रमुख निर्णय लिए गए –

  • झारखण्ड सरकार को विधेयक वापस लेने के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया गया।
  • एक सप्ताह के अन्दर बिल वापस नहीं लेने की दशा में 15 फरवरी से पूरे राज्य में आवक-जावक और उत्पादन अनिश्चितकालीन बन्द रखने की घोषणा की गई। 
  • इसके अंतर्गत सम्पूर्ण खाद्य आहार, पशुआहार, फल, सब्जी आदि के व्यापार राज्य में ठप हो जाएंगे।
  • इस बीच कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का सभी जिलों में विरोध, पुतला दहन, घेराव आदि करने का आह्वान किया गया।

राज्य भर के लगभग हजार की संख्या में व्यापारी रांची में जीवन-मरण का सवाल बन चुके इस कृषि उपज विधेयक और इसमें 2 प्रतिशत बाजार समिति को किसी भी हाल में मंजूर नहीं करने का एलान किया है। वहीं बैठक के बाद व्यापारियों ने रैली भी निकाला और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का पुतला दहन भी किया। एक स्वर से व्यापारियों ने झारखण्ड सरकार और मुख्यमंत्री को व्यापारी विरोधी करार दिया और उक्त विधेयक को पूर्ण रूपेण वापस लेने तक आन्दोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया।

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