Godda/Ranchi: गोड्डा में ईसीएल (Eastern Coalfields Limited) की राजमहल-ललमटिया कोल परियोजना (Rajmahal-Lalmatia Coal Project) के लिए अधिग्रहित जमीन की मार्किंग के दौरान बेहद तनावपूर्ण स्थिति बन गई। बुधवार को ईसीएल और जिला प्रशासन के अफसरों के साथ सुरक्षा बलों के एक हजार से भी ज्यादा जवान तालझारी गांव पहुंचे तो हजारों की संख्या में ग्रामीण परंपरागत हथियारों, लाठी-डंडो के साथ जमा हो गए। वे ‘जान देंगे, जमीन नहीं देंगे और पुलिस-प्रशासन वापस जाओ’ के नारे लगाते रहे। इनमें स्त्री, पुरुष, बच्चे शामिल हैं। शाम पांच बजे समाचार लिखे जाने तक विरोध प्रदर्शन जारी था। इस बीच महगामा अनुमंडल प्रशासन ने तनाव को देखते हुए पूरे इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
ईसीएल ने अपनी कोल परियोजना के विस्तार के लिए बीते पांच सालों के दौरान बोआरीजार प्रखंड के तालझारी गांव की 125 एकड़ जमीन अधिग्रहित की है। वर्ष 2018 से ही वहां ईसीएल की ओर से खदान विस्तार की प्रक्रिया शुरू करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन तालझारी के रैयतों सहित आसपास के गांवों के कड़े विरोध के कारण अब तक वहां कोयला खनन शुरू नहीं कराया जा सका है। जमीन के सीमांकन की कोशिश के दौरान अब तक आधा दर्जन से भी अधिक बार ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव हो चुका है। छह माह पूर्व तालझारी गांव में वार्ता के लिए गए ईसीएल के सीएमडी को ग्रामीणों ने बंधक भी बना लिया था। बाद में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से उन्हें ग्रामीणों के चंगुल से सकुशल मुक्त कराया गया था।
ग्रामीणों का कहना है कि वे जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे। दूसरी तरफ ईसीएल का दावा है कि यहां जिन रैयतों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उन्हें अब तक 10 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया है। 22 रैयतों को राजमहल परियोजना में नौकरी भी दी गई है। इसके बावजूद परियोजना के विस्तार का विरोध करना ठीक नहीं है।
बुधवार को ईसीएल की ओर से अधिग्रहित जमीन पर कब्जे के लिए जिला बल के अलावा आईआरबी (Indian Reserve Battalion), सीआईएसएफ (central industrial security force) और रैपिड एक्श फोर्स के एक हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती की गई है। ईसीएल की राजमहल परियोजना के जीएम आरसी महापात्रा और महगामा के एसडीओ-एसडीपीओ मौके पर मौजूद हैं।
बता दें कि ईसीएल की राजमहल परियोजना के कोयले से एनटीपीसी के दो पावर प्लांट चलते हैं। कहलगांव और फरक्का प्लांट को अब मांग के अनुरूप ईसीएल कोयला आपूर्ति नहीं कर पा रही है। तालझारी में खनन शुरू होने पर ही राजमहल परियोजना का अस्तित्व बच पाएगा, लेकिन तालझारी के आदिवासी रैयत इस बात पर अड़े हैं कि वे इस जमीन पर काम शुरू नहीं होने देंगे। यहां से उजड़े तो लगभग 200 परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।