Ranchi: झारखंड में कोर्ट फीस में बढ़ोतरी के विरोध में राज्य भर के अधिवक्ता आगामी 2 जनवरी से अदालती कामकाज से खुद को अलग रखेंगे। यह निर्णय झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने लिया है। काउंसिल ने कहा है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पारित कोर्ट फीस संशोधन विधेयक-2022 को जनता पर बोझ डालने वाला और न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने वाला है। सरकार को इसे वापस लेना चाहिए।
काउंसिल ने आमसभा बुलाकर यह प्रस्ताव पारित किया है कि अगर सरकार अपना यह फैसला वापस नहीं लेती तो राज्य भर के 33 हजार अधिवक्ता अदालती कामकाज से खुद को अलग रखेंगे। विधेयक वापस लेने की सूरत में ही आंदोलन वापस होगा। आमसभा में अधिवक्ताओं ने कहा कि कोर्ट फीस संशोधन विधेयक 2022 में सिर्फ कुछ अदालती प्रक्रियाओं की फीस मामूली तौर पर कम की गई है। विवाद संबंधित सूट फाइल करने में जहां 50 हजार रुपये लगते थे, उसमें अब भी अधिकतम तीन लाख रुपये तक की कोर्ट फीस लगेगी। इस तरह के अतार्किक इजाफे से राज्य में आम आदमी के लिए न्याय पाना बेहद महंगा हो गया है। कोर्ट फीस बढ़ाने से पहले सरकार को सभी लोगों से आपत्ति मांगनी चाहिए थी। लेकिन इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने पहले कोर्ट फीस अधिनियम 2021 में संशोधन कर स्टांप फीस छह से लेकर दस गुणा तक वृद्धि की थी। इसके विरोध में राज्य भर के अधिवक्ताओं ने बीते जुलाई महीने में आंदोलन किया था। राज्यपाल ने भी सरकार को इसपर पुनर्विचार करने को कहा था। इसके बाद सरकार ने इसी महीने नए सिरे से संशोधन विधेयक पारित कराया है, लेकिन इसपर भी विरोध शुरू हो गया है। बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा है कि इस मुद्दे पर काउंसिल का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जल्द ही मुलाकात करेगा।