Deoghar: विगत 14 सितंबर 2022 को आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में एक बार फिर से कतिपय संशोधनों के साथ झारखण्ड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक 2022 को स्वीकृति दी गई है। कृषि एवं किसान मंत्रालय, भारत सरकार के माॅडल अधिनियम प्रारूप के अनुसार कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) अधिनियम प्रारूप 2017 को कतिपय संशोधन के साथ अंगीकृत करते हुए इस कृषि विधेयक को एक बार फिर से सरकार ने पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। इससे राज्य के व्यापारी पूरी तरह से सशंकित हैं कि राज्य सरकार फिर से कृषि बाजार समिति शुल्क लगानेे की तैयारी तो नहीं कर रही।
जानकारी हो कि इससे पूर्व 25 मार्च 2022 को विधानसभा से पारित कर झारखण्ड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक 2022 के माध्यम से 2 प्रतिशत बाजार समिति शुल्क लगाने का प्रावधान किया गया था। इस अव्यवहारिक और झारखण्ड के किसान और कृषि उपज विपणन से संबंधित व्यापारियों के लिए प्रतिकूल शुल्क लगाने की आहट से पूरे राज्य के व्यापारी अप्रैल-मई 2022 में जोरदार आंदोलन पर उतर आए थे और खाद्यान्नों के आवक बंद करने जैसा कदम भी उठाया गया था। फलतः राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के आश्वासन पर व्यापारियों ने आन्दोलन वापस लिया था। बाद में मंत्रिपरिषद की बैठक में भी उक्त विधेयक को वापस लेने की स्वीकृति दी गई थी।
लेकिन एक बार फिर से इस विधेयक को लाने की तैयारी से राज्य के किसान, एफपीओ, खाद्यान्न व्यापारी और कृषि उत्पादों से जुड़े उद्यमी कृषि बाजार समिति शुल्क के डरावने सच से सशंकित हो रहे हैं। संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, देवघर (Sp Chamber of Commerce) के अध्यक्ष आलोक मल्लिक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर मांग किया है कि इस विधेयक को पुनः लाने से पहले राज्य के व्यापारियों, चैम्बर तथा विभिन्न व्यावसायिक संगठनों जैसे स्टेक होल्डर्स के साथ व्यापक सहमति बनाने की कोशिश किया जाय तथा व्यापारियों की आशंका को दूर किया जाय। उन्होंने सरकार से कहा है कि व्यापार हित में संशोधनों के साथ प्रस्तुत किये जाने वाले झारखण्ड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक 2022 के प्रारूप को सार्वजनिक कर तथा व्यापारियों और स्टेक होल्डर्स की आपत्तियों को दूर करने के बाद ही विधेयक को लाना उचित होगा।