Deoghar: आज के युग में बिरले ही ऐसे पुत्र, बहु और परिवार के सदस्य देखने को मिलते हैं जो अपने माता-पिता या सास-ससुर के प्रति समर्पित रहते हैं। कलयुग के श्रवण कुमार की संज्ञा दी जा रही है जहानाबाद निवासी चंदन प्रसाद केशरी और उनके भाइयों व उनकी पत्नी व बेटे को। जो अपने पिता जगरनाथ प्रसाद केसरी और माता मीना देवी को श्रावणी मेला में रविवार को सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर डोली में बैठाकर दुम्मा सीमा पर पहुंचे।
उन्हें देखने व उनका तस्वीर उतारने के लिए स्थानीय लोगों के अलावे कांवरिया भी आतुर थे। दिन के एक बजे के आसपास दुम्मा बॉर्डर पर माता हीरामनी देवी निःशुल्क सेवा शिविर स्नान ध्यान कर बाबा धाम के लिए निकल पड़े।
चंदन प्रसाद केसरी ने बताया कि घर पर पूजा का अनुष्ठान हो रहा था। उसी दौरान कीर्तन भजन के बाद अनायास उसे लगा कि वह अपने माता पिता को बाबाधाम जलार्पण के लिए ले जाएंगे। इसके लिए उन्होंने पहले अपनी पत्नी रीना देवी से परामर्श किया तो वह तैयार हो गई। अपने भाइयों से यह बात बताई तो वे भी सहयोग करने को तैयार हो गए। अब था माता पिता को इसके लिए तैयार करना, तो उसने गावं वालों को दोनों को समझा बुझा कर तैयार करने को कहा।
सभी लोंगों के समझाने के बाद उसके मां पिता यात्रा को तैयार हो गए। पिछले रविवार को जहानाबाद से वाहन से सुल्तानगंज पहुंचा और उसी दिन जल उठाकर डोली में बजुर्ग माता पिता को बैठाकर बाबाधाम के लिए निकल पड़ा। आठवें दिन झारखंड के बॉर्डर दुम्मा पहुंचा। जहां हर शिविर वाले ने उनका स्वागत किया।
क्या कहते हैं कलयुग के श्रवण कुमार के पिता
कलयुग के श्रवण कुमार के पिता जगरनाथ केशरी ने कहा कि बाबा हमारे जैसे सबको बेटा-बेटी दे जो अपने माता-पिता के साथ-साथ सास-ससुर की सेवा करे। कहा कि आज भी हमारा संयुक्त परिवार है। उन्होंने कहा कि बहुत पहले वे पैदल भी सुलतानगंज से बाबाधाम पूजा करने आये थे। कहा कि अब चलने फिरने में थोड़ा असमर्थ हो गये हैं।