Ranchi: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में बुधवार को झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (Jharkhand State Energy Development Corporation Limited) में 15 साल से अधिक काम कर चुके अस्थाई कर्मचारियों जिनमें बिजली मिस्त्री शामिल हैं, के नियमितीकरण को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई हुई।
झारखंड राज्य स्थाई कर्मचारी संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी अविनाश कुमार कोर्ट में सशरीर उपस्थित थे। उनकी ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया कि जल्द ही इस मामले में झारखंड ऊर्जा विकास निगम बोर्ड की बैठक बुला कर निर्णय लिया जायेगा।
कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जतायी कि वर्ष 2005 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच द्वारा उमा देवी केस में दिये गये जजमेंट में दिये गये निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया। ऊर्जा विकास निगम ने इस संबंध में आज तक मात्र राज्य सरकार द्वारा नियमितीकरण से संबंधित बनायी गयी स्कीम को अंगीकृत करने के लिए कमेटी बनाने की दिशा में काम शुरू किया है। हालांकि, इस कमेटी में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में सदस्य मनोनीत करने का इंतजार किया जा रहा है।
इस पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि इस तरह की देरी कई लोग जो वर्ष 2003 से नियमितीकरण के लिए कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं, वह अब सेवानिवृत्ति की दहलीज पर पहुंच चुके हैं। कोर्ट के समक्ष यह बात आयी कि राज्य सरकार द्वारा नियमितीकरण के लिए वर्ष 2016 में बनाये गये नियम को वर्ष 2019 में संशोधित किया गया। इसे अब तक ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने अंगीकृत नहीं किया है। मात्र एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है, जो राज्य सरकार के नियम को अंगीकृत करने पर फैसला लेगी। इस कमेटी के गठन के बारे में झारखंड राज्य ऊर्जा विकास निगम के बोर्ड ने अप्रैल 2020 निर्णय लिया था लेकिन अब तक राज्य सरकार ने उस कमेटी के सदस्यों को मनोनीत नहीं किया है।