Deoghar: शीघ्र दर्शनम को लेकर मंदिर प्रांगण में हो रहे ओवर ब्रिज निर्माण का विरोध शुरू हो गया है। जिसको लेकर बाबा मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर प्रांगण में बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता पंडित कृष्णधन मिश्र ने की।
पंडा धर्म रक्षिणी के पूर्व महामंत्री दुर्लभ मिश्र ने कहा कि धार्मिक व्यवस्था में डीसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है। अनावश्यक हस्ताक्षेप का विरोध करना समय की मांग हैं। सामाजिक एकजुट जरूरी है। यात्रियों की असुविधा नहीं होना चाहिए, लेकिन मंदिर में अनावश्यक तोड़ फोड़ बगैर किसी विचार और विमर्श के यह गलत है।
डाॅ. मोती चरण द्वारी ने कहा कि मंदिर आस्था विश्वास श्रद्धा का केंद्र है। उपायुक्त इसे पैसा का केंद्र बना रहे हैं। यह गलत है। भैरो मंदिर के पास जहां गड्ढा हो रहा है। वहां अनाधिकाल में गर्भ गृह था यदि और गड्ढा हो तो गर्भ गृह दिख जाएगा। पैसा कमाना अच्छी बात है लेकिन मंदिर को तोड़ कर पैसा कमाने की नीति यह कतई स्वीकार नहीं है। इस तोड़फोड़ से गर्भ गृह पर असर होगा। इसे तत्काल बंद कर देना चाहिए। यह हमारी आस्था पर कुठाराघात है। सलाह मशविरा के बाद ही मंदिर में कुछ काम होना चाहिए। उपायुक्त पूर्व स्थिति को ही बहाल रखें। यह हमारी आस्था पर चोट है।
विनोद चरण द्वारी ने कहा कि यह एक आंदोलन की शुरूआत है। प्रशासनिक व्यवस्था का हद से ज्यादा हस्तक्षेप बर्दाश्त के बाहर है। एक वर्ष में उपायुक्त को मंदिर संबंधित कई सुधार के लिए सुझाव दिये गये हैं लेकिन हमारी हर मांग को अनसुना कर दिया गया है। सारी समस्या को अनसुना कर दिया गया है। पुलिस बल भी परंपरा से छेड़छाड़ कर रही है। पुलिस कप्तान से भी इसकी शिकायत की गई है लेकिन कारवाई क्या हुई पता नहीं। निवेदन का समय खत्म हो चुका है यह आंदोलन का समय है। मंदिर संबंधित बैठकों में हमें बुलाया नहीं जाता है। आखिर मंदिर की आंतरिक व्यवस्था पर डीसी कैसे निर्णय ले सकते हैं।
चंद्रशेखर खवाड़े ने कहा कि उपायुक्त पंडा विरोधी है। एक भी काम उन्होंने समाज हित में नहीं किया है। प्रशासन मंदिर को व्यवसाय का अड्डा बनाने पर आतुर है। अनाप शनाप नियम बनाए जा रहे हैं। पंडा संग अनावश्यक विवाद किया जा रहा है। मंदिर में वर्तमान में हो रही भीड़ के पीछे हमारे पूर्वजों का सबसे ज्यादा योगदान है। मंदिर से लूट खसोट करने वाले का कभी अच्छा नहीं हुआ है। प्राण की कीमत पर मंदिर की सुरक्षा के लिए हम खड़े है।
हिमांशु झा ने कहा कि मंदिर को प्रयोगशाला बना दिया गया है। देश के हर पुराने मंदिरों को संरक्षण करने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन देवघर सारे पुरातत्व की सलाह की अनदेखी करती है।
कृष्णानंद झा ने कहा कि प्रशासन से हमारी कोई लड़ने की मंशा नहीं है लेकिन यदि हमारे मंदिर को स्वरूप को बिगाड़ा जाएगा। और इसकी यदि कोई चेष्टा करेगा तो उसका विरोध होगा। चाहे वो डीसी है या और कोई है उपायुक्त कस्टोडियन है। उन्हें पौराणिक स्वरूप को बरकरार रखते हुए मंदिर की व्यवस्था को सुधार करना है। इस गड्ढे से मंदिर की परिक्रमा बाधित हो गई है। मंदिर का मौलिक स्वरूप बर्बाद हो रहा है। सामाजिक एकजुटता की जरूरत है। मेरे जीवित रहते हुए बाबा के मंदिर के स्वरूप को अक्षुण्ण बनाने के लिए मुझे जो कुछ भी करना पड़ेगा मैं इसके लिए तैयार हूँ। यात्रियों की सुविधा के मंदिर प्रांगण में भी बाहर हर सुविधा प्रशासन दें। लेकिन मंदिर के पौराणिक परंपरा में किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। मंदिर की पुरानी स्थिति को बरकरार रखना चाहिए। मंदिर में अराजकता का माहौल है। यह सबों के लिए घातक है। फिर से दो चार पांच दिन बाद बैठक बुलाई जाएगी। गड्ढा को भरा जाएगा यदि कोई काम इसके बाद होता है तो इसका विरोध किया जाएगा। इसके लिए मैं किसी भी स्तर पर जाने के लिए तैयार हूँ।