Deoghar: देवघर के लोग भी अब काला गेहूं (Black wheat) का स्वाद चख पायेंगे। पहली बार यहां के किसान काला गेहूं की खेती (Black wheat farming) कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र देवघर (Krishi Vigyan Kendra Deoghar) की ओर से काला गेहूं की जैविक खेती (black wheat organic farming) की जा रही है। केवीके परिसर (KVK Campus) के अलावा करीब आधा दर्जन किसान पहली बार इसकी खेती कर रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र देवघर के प्रभारी कृषि वैज्ञानिक आनंद कुमार तिवारी ने बताया कि वह करीब आधा एकड़ में काला गेहूं की खेती कर रहे हैं। बिहार से बीज मंगवाया गया था। केवीके परिसर के अलावा कुछ किसानों के खेतों में भी बीज बोया गया है। जो फसल के रूप में जल्द ही तैयार हो जायेगा। साधारण गेहूं की तुलना में इसका बीज लंबा व पतला होता है।
कृषि वैज्ञानिक आनंद कुमार तिवारी ने बताया कि बिहार सहित देश के अन्य हिस्सों में काला गेहूं की खेती पहले से होती आ रही है। लेकिन झारखण्ड में यह नया है। उन्होंने बताया कि ये गेहूं लोगों की सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है।
काला गेहूं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
कृषि विज्ञान केंद्र देवघर के प्रभारी कृषि वैज्ञानिक आनंद कुमार तिवारी ने बताया कि काला गेहूं में एंथोसाएनिन नाम के पिगमेंट होते हैं। एंथोसाएनिन की अधिकता से इसका रंग काला काला हो जाता है। एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। उन्होंने बताया कि काला गेहूं की खेती के लिए अब किसान जागरूक हो रहे हैं। इस कारण उम्मीद है कि भविष्य में कई किसान इसकी खेती कर सकते हैं। यहां की मिट्टी भी इसकी खेती में लाभदायक होगा। उन्होंने बताया कि काला गेहूं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण ही झारखण्ड में इसकी खेती नहीं की जा रही है।
काले गेहूं के औषधीय गुण
कृषि अधिकारी मानते हैं कि ये गेहूं डायबिटीज वाले लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें पाए जाने वाला एंथोसाएनिन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक, कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। काले गेहूं रंग व स्वाद में सामान्य गेहूं से थोड़ा अलग होते हैं, लेकिन बेहद पौष्टिक होते हैं।