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घर चलाने के लिए भूख हड़ताल: एक साल पहले पति को खो दिया, 12 माह से मानदेय नहीं मिला, बच्चों को लेकर जाएं कहां ….

23 फरवरी से रांची विधानसभा गेट पर पोषण सखियां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगी। सभी मांगों में ज़रूरी इनकी एक मांग बकाये मानदेय के भुगतान की है।

Dumka: 23 फरवरी से रांची विधानसभा गेट पर पोषण सखियां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगी। सभी मांगों में ज़रूरी इनकी एक मांग बकाये मानदेय के भुगतान की है। वही मानदेय जिससे इनका घर-परिवार चलता है। दो वक़्त की रोटी जुटाने के लिए पोषण सखियाँ भूख हड़ताल करने जा रही हैं।

अपने आंदोलन को सफल बनाने के लिए पोषण सखियों ने नावाडीह दुर्गा मंदिर के समीप एक बैठक रणनीति तैयार की। पोषण सखियों ने बताया कि 12 माह से हमें मानदेय नहीं मिला है। सरकार से मांग है कि ड्रेस कोड, बीमा योजना, सरकार न्यूनतम मजदूरी 13184 रुपया भुगतान किया जाये। लेकिन इन सभी मुद्दों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। ऐसे में हमारा घर-परिवार चलाने के लिए हम सभी पोषण सखियां अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने के लिए तैयार हैं।

यहां दर्जनों ऐसी महिलाएं नजर आई जिसका घर इस पोषण सखी के कार्य से ही चल रहा है। उसी में से दिखी बबीता कुमारी। बबीता जो पोषण सखी का कार्य करती है। साल 2021 में कोरोना काल में इनके पति की मौत हो गयी। बबीता के दो बच्चे हैं। ऐसे में पति के बगैर खुद और दोनों बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेवारी पूरी तरह बबीता पर ही आ गयी। लेकिन अफ़सोस कि सरकार ने इस बुरे वक़्त में ही मानदेय देना बंद कर दिया। बबीता बताती हैं कि पहले तो उचित मानदेय मिल जाता था। लेकिन पति की मौत के बाद से अब तक अपने बकाए मानदेय को लेकर सरकार से गुहार लगा रही। लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।

बबीता बताती हैं कि अब सरकार ने हमारे जगह सहायिका से कार्य कराना शुरू कर दिया है। यह सब देख कर मन विचलित हो रहा है आखिर किस प्रकार से अपने बच्चों का भरण पोषण करेंगे। या यूं कहें कि पति के जाते ही अपने बच्चों के साथ हम भी अनाथ हो गए हैं।

उन्होंने बताया कि 2016 में नियोजन के बाद आज तक घर-घर जाकर सरकार द्वारा दिये गए कार्य को करती आ रही है। कोरोना महामारी के बीच भी घर-घर जाकर काम कराया गया। परंतु मानदेय 12 महीने से बकाया है, जिससे पोषण सखी आर्थिक तंगी से जूझना रही हैं।

बबिता ने सरकार से एक ही गुजारिश की है कि हमारे बकाए मानदेय को भुगतान कर दें ताकि सभी पोषण सखी बहनों के साथ उन्हें भी मदद मिल जाये।

बता दें कि पोषण सखियों की मांगों में 12 माह का बकाया मानदेय भुगतान, सेविका सह पोषण परमर्शी पोषण की सेवा शर्त नियमावली अविलम्ब तैयार करने। श्रम विभाग द्वारा निर्धारित मजदूरी 13,184 रूपये का मानदेय, आंगनबाड़ी सेविका के समान बीमा एवं अवकाश की सुविधा, कुपोषित बच्चों को प्रखंड तथा जिला मुख्यालय इलाज हेतु ले जाने के लिए 108 वाहन आदि शामिल हैं।

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