

Ranchi: सीसीएल के नॉर्थ कर्णपुरा एरिया (CCL’s North Karanpura Area) अंतर्गत केडीएच प्रोजेक्ट के करकट्टा (Karakatta of KDH Project) स्थित बंद पड़ी अंडरग्राउंड कोयला खदान (Closed underground coal mine)में लगी आग गुरुवार को और तेज हो गई। आशंका जतायी जा रही है कि अगर आग पर काबू पाने के लिए तत्काल प्रभावी उपाय नहीं किये गये तो खदान के पास की तीन बस्तियों करकट्टा, विश्रामपुर और खिलान धौड़ा की बड़ा आबादी खतरे में पड़ सकती है। इन तीनों बस्तियों में लगभग दो हजार लोग रहते हैं। यहां धरती फटने की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और अब खदान में लगी आग ने भू-धंसान के खतरे को और बढ़ा दिया है। इस बीच सीसीएल केडीएच प्रोजेक्ट के महाप्रबंधक संजय कुमार की अगुवाई में एक टीम ने गुरुवार को खदान में आग वाली जगहों का मुआयना किया।


इस खदान में बुधवार दोपहर अचानक आग भड़क उठी। आग की ऊंची लपटों के साथउठता धुएं का गुबार धुआं करकट्टा, विश्रामपुर एवं आस-पास के इलाकों की आवासीय कॉलोनियों में भी फैलने लगे। बुधवार की रात लोगों ने दहशत के बीच गुजारी। खदान के पास की ही बस्ती में रहनेवाले जिला परिषद के सदस्य रतिया गंझू बताते हैं कि बंद भूमिगत खदान से महीनों पहले से धुआं निकलता रहता था। बुधवार को आग लगने के बाद अब पूरे इलाके में कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी जहरीली गैस फैल रही है। उनका कहना है कि आग के मुहानों को तत्काल बंद भी किया गया तो इससे भूमिगत आग पूरी तरह नहीं बुझने वाली। एकमात्र उपाय यही है कि इन तीनों बस्तियों के लोगों को मुआवजा देकर जल्द से जल्द कहीं और बसाया जाये। आलम यह है कि हादसे के भय से लोग रात में चैन से सो नहीं पा रहे।

बता दें कि कर्णपुरा-देवलखांड-हेसालौंग (केडीएच) स्थित यह कोयला खदान पहले आउटसोसिर्ंग कंपनी द्वारा चलायी जाती थी। बाद में खनन विस्तार के लिए जमीन न मिलने की वजह से लगभग दो साल पहले इसे बंद कर दिया गया। इसके बाद यहां अवैध तरीके से माइनिंग के कई मुहाने खुल गये। एक हफ्ता पहले सीसीएल के सुरक्षा विभाग और पुलिस ने अवैध माइनिंग के कई मुहानों की डोजरिंग कर उन्हें बंद कराया था। अब उन्हीं जगहों पर आग लग गई है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो आउटसोसिर्ंग कंपनी ने काम बंद करने के बाद खदानों को उसी हाल में छोड़ दिया, जबकि कायदे से सुरक्षित तरीके से डोजरिंग कर इसे बंद किया जाना चाहिए था।
खदान बंद होने के बाद यहां अवैध तरीके से माइनिंग का बदस्तूर सिलसिला शुरू हो गया। सीसीएल प्रबंधन ने कई बार इसे रोकने के लिए कार्रवाई की, लेकिन देखते-देखते कोयला खनन के लिए दर्जनों सुरंगें बना दी गईं। ऐसी सुरंगें अक्सर हादसों का कारण बनती रही हैं। पिछले साल ऐसी ही एक सुरंग के धंसने से दो लोगों की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि खदान के अंदर मिथेन गैस का रिसाव होने से आग लगातार तेज होती जा रही है।
सीसीएल केडीएच एरिया के जीएम संजय कुमार का कहना है कि आग बंद भूमिगत खदान में अवैध खनन की वजह से लगी है। इसे कैसे नियंत्रित किया जाये, इसपर विचार-विमर्श चल रहा है। आग के मुहानों को डोजरिंग के जरिए बंद करने की कोशिश की जायेगी।(IANS)
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