Deoghar(Jharkhand): मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है, तब इस संक्रांति को मनाया जाता है। यह त्यौहार अधिकतर जनवरी माह की दिनांक 14 को मनाया जाता है. यदा कदा यह त्यौहार 13 अथवा 15 को भी हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है, कि सूर्य कब धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
इस दिवस से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है एवम् इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं।बैद्यनाथ धाम में मकर सक्रांति बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता है इस दिन बाबा बैद्यनाथ को दही चूड़ा और तिलकुट का भोग लगाया जाता है साथ ही तिल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
श्रद्धालु बड़ी संख्या में बाबा धाम पहुच अनेक धार्मिक अनुष्ठान करते है. देवघर पंडा धर्मरक्षिणी सभा और मंदिर प्रशासन मकर संक्रांति को लेकर तैयारियां में जुट गया है। इस वर्ष बाबाधाम पहुचने वाले सभी श्रद्धालु को कोविड के नियमों का पालन करना अनिवार्य है. इसके साथ पंडा धर्मरक्षिणी सभा के द्वारा बताया गया है कि इस वर्ष मकर संक्रांति में बाबा बैद्यनाथ के गर्भ गृह में कोई भी धार्मिक अनुश्ठान नही होंगे। बैद्यनाथ का अभिषेक 14 और 15 जनवरी को बंद रखा जाएगा, ताकि भीड़ को नियत्रण किया जा सके। वही पंडा समाज के लोगो के द्वारा इस निर्णय का स्वागत किया गया। मकर संक्रांति से अनेकों पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।
कथनीय है, कि इस दिवस भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाया करते हैं। शनिदेव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिवस को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रांति के दिवस ही गंगा जी, भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। यह भी कहा जाता है, कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों हेतु इस दिवस तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के पश्चात, इस दिवस गंगा जी सागर में समा गई थीं। अतः मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।