► निशिकांत की ओर से रिट फाइल, डीसी काे नहीं है पावर जमीन की रजिस्ट्री रद्द करने का, सिविल काेर्ट रजिस्ट्री रद्द कर सकता है।
रांची।
गाेड्डा से बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम के द्वारा क्रिमिनल केस काे रद्द करने के लिए दायर याचिका पर झारखंड हाइकाेर्ट में सुनवाई हुई। बुधवार काे जस्टिस आनंदा सेन की काेर्ट ने दाेनाें पक्षाें काे सुनने के बाद सभी पक्षाें काे पांच पेज में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। इस मामले में गुरूवार काे दाेपहर तीन बजे फिर से सुनवाइ हाेगी।
सुनवाई के दाैरान निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम काेर्ट के अधिवक्ता मुकुल राेहतगी ने काेर्ट से कहा कि यह मामला क्रिमिनल केस का नहीं है। यह सिविल डिस्प्यूट का मामला है। इसलिए क्रिमिनल केस नहीं बनता है। जबकि राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम काेर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने काेर्ट में कहा कि यह ऐसा नहीं है। सरकार के राजस्व काे नुकसान हुआ है। इसलिए यह चिटिंग है। इसलिए इन पर क्रिमिनल केस बनता है। वही केस करनेवाले प्रतिवादी विषणुकांत और किरण देवी अपने अधिवक्ता के माध्यम से काेर्ट में पेश हुए।
सुनवाई के दाैरान सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम पर पीड़क कार्रवाई पर राेक बरकरार रखा गया है। उल्लेखनीय है कि देवघर में जमीन खरीद के मामले में अनामिका गाैतम के खिलाफ विषणुकांत झा और किरण देवी ने दाे अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि जिस जमीन का सरकारी मूल्य 20 कराेड़ रूपए है। उसे केवल 3 कराेड़ रूपए में रजिस्ट्री कराया गया है।
हाइकाेर्ट में रिट फाइल, डीसी काे पावर नहीं है रजिस्ट्री रद्द करने का:
देवघर के एलकोसीधाम की जमीन से जुड़े मामले में हाइकाेर्ट में रिट फाइल किया गया है। इसमें निशिकांत दुबे की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाधयाय ने रिट के माध्यम से कहा है कि जिस जमीन की रजिस्ट्री रद्द की गइ है। उस जमीन की रजिस्ट्री रद्द करने का पावर डीसी काे नहीं है। जमीन की रजिस्ट्री रद्द केवल सिविल काेर्ट ही कर सकता है। इसलिए गलत तरीके से रजिस्ट्री रद्द किया गया है।