देवघर।
देवघर कृषि विज्ञान केंद्र की स्थिति इन दिनों शतरंज के बिसात की तरह हो गई है। जहां चौसर पर सेवामुक्त हो चुके वैज्ञानिकों के कौकस द्वारा नई नियुक्ति की प्रक्रिया को रोकने के लिए शह और मात का खेल जारी है।
पूरा माजरा उस दिन शुरू हुआ, जिस दिन आनन-फानन में तब के सीनियर साइंटिस्ट सह प्रधान पी.के सन्निग्रही को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। दरअसल, इस पद से पी. के सन्निग्रही 31 दिसंबर 2020 को सेवानिवृत हो गए थे बावजूद इसके उनका इस पद से मोह भंग नहीं हुआ था, और वे इस पद को छोड़ना नहीं चाह रहे थे। पी. के सन्निग्रही के तमाम कोशिशों के बावजूद बात जब आलाअधिकारीयों तक पहुंची तो शतरंज की बाजी पलट गयी। बाज़ी कुछ इस तरह पलटी कि ICAR के पटना ज़ोन के डायरेक्टर को देवघर KVK आना पड़ा। तब जाकर पी. के सन्निग्रही ने अपना प्रभार KVK के वरीय वैज्ञानिक डॉ. आनंद कुमार तिवारी को सौंपा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार KVK, देवघर के सीनियर साइंटिस्ट सह प्रधान सहित पांच वैज्ञानिक रिटायर्ड हो चुके हैं। अब इन रिक्त पदों पर नए लोगों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होना लाजमी था, ऐसा हुआ भी। सभी रिक्त पदों के लिए प्रावधानों के तहत नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया, जिसे 9 जनवरी को प्रमुख अखबार और KVK के ऑफिसियल वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया गया।
अब जरा सिक्के के दूसरे पहलू को भी समझने की जरूरत है। एक तरफ खाली पदों पर नए लोगों की नियुक्ति कर KVK देवघर के संचालन को सुचारु रूप से चलाते हुए जिले के किसानों को उन्नत कृषि तकनीक व बीज और फसल व पशुपालन के जरिये बेहतर जीवनयापन को बल मिलता। लेकिन, ऐसा होना यहां कुंडली मारकर बैठे मठाधीशों को नागवार गुज़रा। ऊपर से तुर्रा ये कि वैकेंसी कुछ चुने हुए लोगों को लाभ पहुंचाने की नियत से निकाली गयी है।
फिर क्या था… तैयार हुआ एक फर्जी लेटर, जिसे ICAR के DG को भिजवा दिया गया। अब ICAR के DG ने तत्काल इस वैकेंसी प्रक्रिया को ससपेंड कर दिया है।
अब सवाल उठता है कि क्या KVK के सारे रिक्त पद यूँ ही खाली रह जायेंगे? अगर हां.. तब तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर नहीं …. तो पद पर बहाली वैकेंसी के नोटिस के आधार पर ही तो होगी।
अब अगर समय रहते यहां के खाली पदों को नहीं भरा गया तो यहां पहले से ही धूल फांक रहे करोड़ों के उपकरण किसी काम के नहीं रहेंगे। सबसे बड़ी नाइंसाफी तो उन किसानो के साथ होगी, जो कृषि विज्ञानं केंद्र देवघर पर बेहतर फसल और उन्नत पशुपालन क्षेत्र में नई तकनीक की उपलब्धता के लिए टकटकी लगाए रहते हैं। जब KVK में वैज्ञानिक और प्रभारी ही नहीं रहेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस सपने का क्या होगा जिसमे वो बार-बार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कहते हैं।