New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि रेप किसी महिला के शरीर और आत्मा के साथ किया गया सबसे बर्बर अपराध है। जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने 2012 में एक महिला से रेप के तीन आरोपितों को बरी करने और तीन आरोपितों को मिली सजा को बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की।
घटना 18 मई 2012 की है। 19 मई 2021 को पीसीआर को सूचना मिली कि कालिंदी कुंज के पास एक महिला से एक ट्रक में छह लोगों ने रेप किया है। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़िता का बयान लिया। पीड़िता ने बताया कि वो नजफगढ़ से मदनपुर खादर आकर कूड़ा चुनती है। 18 मई 2012 को पीड़िता ने मदनपुर खादर के जलेबी चौक से नेहरू प्लेस जाने के लिए ग्रामीण सेवा में बैठी। ग्रामीण सेवा को एक सह-आरोपित लकी चला रहा था, जबकि दूसरा सह-आरोपित टेहना हेल्पर का काम कर रहा था।
जब महिला नेहरू प्लेस पहुंची तो सभी सवारी नेहरू प्लेस उतर गए। उसके बाद लकी और टेहना पीड़िता को सीएनजी पंप पर ले गए। वहां महिला का परिचय विक्की ऊर्फ विजय और सत्यजीत विश्वास ऊर्फ सत्ते से करवाया। विक्की और सत्ते ने पीड़िता को जबरन एक कार में बिठाया। वे पीड़िता को नेहरू प्लेस में एक सिनेमा हॉल के पास ले गए, जहां सत्ते ने पीड़िता का रेप किया। उसके बाद पीड़िता को खादर जेजे कॉलोनी ले जाया गया, जहां लक्की, विक्की, टेहना और सत्ते ने रेप किया। विक्की ने दूसरे सह-आरोपितों उमा शंकर और अमित ऊर्फ सोनू जाट को बुलाया, जिन्होंने भी पीड़िता का रेप किया। पुलिस ने पीड़िता के बयान पर 19 मई 2012 को जैतपुर थाने में एफआईआर दर्ज किया। इस मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में 27 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि पीड़िता के बयानों में काफी विरोधाभास है और उन बयानों की तस्दीक मेडिकल साक्ष्य भी नहीं कर रहे हैं। इसलिए उसके बयानों को भरोसेमंद नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि मामले में दो किस्म के आरोपित हैं। एक के खिलाफ मेडिकल साक्ष्य हैं, जबकि एक के खिलाफ मेडिकल साक्ष्य नहीं हैं। हाई कोर्ट ने आरोपितों अमित ऊर्फ सोनू जाट, सत्ते, टेहना को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि तीनों आरोपित लंबे समय से जेल में हैं। ऐसे अब उन्हें जेल में रखना मुनासिब नहीं होगा। कोर्ट ने विक्की, लकी और उमाशंकर को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को बरकरार रखा।