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New Delhi: भारतीय सेना (Indian Army) ने उभरते हुए प्रौद्योगिकी डोमेन (technology domain) का मुकाबला करने के लिए मध्य प्रदेश के महू स्थित सैन्य कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में क्वांटम प्रयोगशाला (quantum lab) स्थापित की है। यहां अत्याधुनिक साइबर रेंज (Cyber Range) और साइबर सुरक्षा प्रयोगशालाओं (Cyber Security Lab) के माध्यम से सेना को साइबर युद्ध (Cyber War) पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने हाल ही में महू यात्रा के दौरान इस लैब का दौरा किया। उन्हें प्रयोगशाला में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जानकारी दी गई।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के समर्थन से प्रमुख विकासशील क्षेत्र में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए इस क्वांटम लैब की स्थापना की गई है। भारतीय सेना ने इसी संस्थान में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) केंद्र भी स्थापित किया है, जिसमें 140 से अधिक उद्योग और शिक्षाविदों का सक्रिय समर्थन है। यहां अत्याधुनिक साइबर रेंज और साइबर सुरक्षा प्रयोगशालाओं के माध्यम से साइबर युद्ध पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम और राष्ट्रीय सुरक्षा में सेना की भागीदारी के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में एक संगोष्ठी आयोजित की गई थी। इसके बाद से ही भारतीय सेना के प्रौद्योगिकी संस्थानों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम और साइबर क्षेत्र में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय सेना ने कई शोध किये हैं, जो अगली पीढ़ी के संचार क्षेत्र में छलांग लगाने के लिए मदद करेंगे। यह शोध भारतीय सशस्त्र बलों में क्रिप्टोग्राफी की वर्तमान प्रणाली को पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) में बदल देंगे।
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भारतीय सेना में इस समय क्वांटम कुंजी वितरण, क्वांटम संचार, क्वांटम कंप्यूटिंग और पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी पर प्रमुख रूप से जोर दिया जा रहा है। इसमें आईआईटी, डीआरडीओ संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, कॉर्पोरेट फर्मों, स्टार्टअप्स और उद्योगों को भी शामिल किया गया है। इन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धन के साथ आवश्यक समयसीमा आधारित उद्देश्यों पर काम किया गया है, जिससे भारतीय सेना की समस्याओं का समाधान फास्ट ट्रैक आधार पर होने की उम्मीद है।
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