फ्रांस में चर्च जैसे पवित्र संस्थानों में 1950 से लेकर 2020 तक 3 लाख 30 हजार बच्चे यौन उत्पीड़न का शिकार बने। यह बात सामने आई है फ्रांस में चर्चों पर की गई एक चौंकाने वाली स्टडी में।
रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस की कैथोलिक चर्चों में काम करने वाले तीन हजार से ज्यादा पादरी, धर्मगुरु और अन्य कर्मी पिछले सात दशकों से नाबालिगों के शोषण में शामिल रहे। इस दौरान चर्च के बड़े अधिकारी गुपचुप तरीके से इन कारगुजारियों पर पर्दा भी डालते रहे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन बच्चों के साथ पिछले सात दशकों में यौन शोषण हुआ, उनमें 80 फीसदी लड़के थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 70 सालों में जिन 3.30 लाख बच्चों का यौन शोषण हुआ, उनमें 2 लाख 16 हजार से ज्यादा बच्चों का उत्पीड़न चर्च के पादरियों और दूसरे धर्मगुरुओं ने किया। यानी कुल मामलों में दो-तिहाई में चर्च के पुजारी ही आरोपी पाए गए, जबकि 1 लाख 14 हजार मामलों में चर्च में काम करने वाले अन्य कर्मी यौन उत्पीड़न के आरोपी के तौर पर सामने आए।
सॉवे ने कहा कि इसके नतीजे काफी गंभीर हैं। तकरीबन 60 फीसदी पुरुष और महिलाएं जिन्हें चर्च जैसे पवित्र संस्थान में इस तरह के यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, उन्हें आगे भावनात्मक स्तर पर बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
चर्च के अपराधों की जांच करने वाले आयोग ने कहा-
फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (FIAAS) और चर्च के अपराधों की जांच के लिए गठित आयोग के अध्यक्ष ज्यां-मार्क सॉवे ने इस रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि चर्च को बाल यौन शोषण की इस संस्कृति के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए और इन गलतियों और चुप्पियों की निंदा करनी चाहिए। आयोग ने फ्रांस सरकार से पीड़ितों को मुआवजा देकर उनकी मदद करने की अपील की। खासकर उन मामलों में जहां ज्यादा उम्र के चलते आरोपियों पर कोर्ट के जरिए अभियोजन चलाना मुश्किल हो।
बता दें कि इस वक्त दुनियाभर में चर्चों पर इसी तरह के आरोपों की जांच जारी है। इसी सिलसिले में फ्रांस सरकार ने भी फ्रेंच चर्चों पर लगे इस तरह के आरोपों की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी ढाई साल की मेहनत के बाद 2500 पन्नों की रिपोर्ट में इन्हीं आरोपों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए। इस दौरान आयोग के अधिकारियों ने चर्च से लेकर कोर्ट, पुलिस और प्रेस से कई दस्तावेज जुटाए।
इस आयोग ने जांच के दौरान एक हॉटलाइन भी लॉन्च की थी, जिस पर चर्च में कथित तौर पर उत्पीड़न का शिकार बने या ऐसे लोगों को जानने वाले व्यक्तियों के 6500 से ज्यादा कॉल आए। आयोग के अध्यक्ष का कहना है कि इन आरोपों और पीड़ितों के प्रति सन 2000 से पहले तक चर्च का रवैया काफी निंदनीय रहा था। उन्होंने बताया कि कई बार चर्च के अफसर इन यौन अपराधों की निंदा भी नहीं करते और उन्हें ऐसे शिकारी धर्मगुरुओं के संपर्क में छोड़ देते हैं। हमारा मानना है कि चर्च ऐसे पीड़ितों के प्रति जिम्मेदार है।