महेश पटैरिया
झांसी: यूं तो हम सभी बचपन में साइकिल चलाने से अनजान नहीं रहे। साइकिल ही वह सहारा रही जिसके माध्यम से हम अपने स्कूल तक जल्दी से पहुंचते थे। लेकिन तब वह साइकिल हमारे लिए समय बचाने का साधन हुआ करती थी। आज के आधुनिक दौर में वही साइकिल लोगों को स्वस्थ रखने के काम आ रही है। सेना व पुलिस के बड़े-बड़े अधिकारियों से लेकर चिकित्सक और युवा साइकिलिंग को अपने स्वस्थ शरीर का राज बताते हैं। आज सभी में मंहगी साइकिल खरीदने का फैशन सा बना हुआ है। बात जब फिजिकल फिटनेस की आ जाए तो भला कौन पीछे रहना चाहता है। अपने आप को शारीरिक रुप से स्वस्थ रखने के लिए लोग तमाम प्रकार के तरीके अपनाते हैं। इनमें से एक साइकिलिंग भी है। पहले कभी साइकिल चलाना यह दर्शाता था कि आप आर्थिक रुप से सम्रद्ध नहीं हैं। पर अब यही साइकिलिंग धनाड्य लोगों के शरीर को स्वस्थ रखने का साधन बनती जा रही है। जो चिकित्सक लोगों को तमाम बीमारियों का उपचार करते हुए दवाओं की निरंतरता रखने की सलाह देते हैं वहीं स्वयं वे साइकिलिंग को बेहतर मानते हुए इसे अपनाते नजर आते हैं। खासतौर पर आज के दिनों में महंगी साइकिल चलाना युवाओं व धनी लोगों का क्रेज बनता जा रहा है।
महीने में बिक जाती हैं 80-90 साइकिल
इस सम्बंध में चर्चित साइकिल शो रुम के संचालक पीयूष रावत ने बताया कि उनके यहां फायर फाॅक्स कम्पनी की साइकिल बेची जाती है। खास तौर पर आर्मी के अधिकारी, पुलिस अधिकारी, चिकित्सक व युवा उनके साईकिल शो रुम से साइकिल खरीदते हैं। महीने में करीब 80 से 90 साइकिल की बिक्री उनके शो रुम से होती है।
महंगी साइकिल खरीदने का है क्रेज
उन्होंने बताया कि यही नहीं उनके यहां जो सबसे ज्यादा साइकिल खरीदने का क्रेज देखा जाता है। उसकी कीमत करीब 25 से 30 हजार तक होती है। इतनी मंहगी साइकिल खरीदे जाने के कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि एक तो इनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है। दूसरा लाइफ टाइम चेचिस खराब न होने की गारंटी होती है। और तीसरी खासियत यह है कि इसके गियर विश्व प्रसिद्ध सुमार कम्पनी के होते हैं।
डीआईजी प्रतिदिन चलाते हैं 50 किमी साइकिल
पीयूष रावत ने बताया कि वर्तमान में झांसी डीआईजी जोगिन्दर सिंह व उनकी पत्नी सबसे ज्यादा साइकिल के शौकीन है। उनके पास फायर फाॅक्स कम्पनी की 12 साइकिल है। एक मुलाकात के दौरान डीआईजी ने खुद पीयूष को बताया कि वह प्रतिदिन करीब 50 किमी साइकिल चलाते हैं। यही नहीं पूर्व में जनपद के एसएसपी दिनेश कुमार पी तो एक दिन साइकिल चलाते हुए जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर बबीना के समीप स्थित सुकुवां-ढुकुवां बांध जा पहुंचे थे। तब उनके साइकिलिंग के चर्चे गली गली सुनने को मिले थे। हालांकि उन्होंने स्टाॅफ के लोगों को इस बात की जानकारी आम न करने को कहा था। फिर भी खबर चल गई थी।
चिकित्सक व सेना के अधिकारी भी खरीद चुके साइकिल
पीयूष ने बताया कि अब तक सेना के तमाम अधिकारी व डा.सुखदीप, डा.मनदीप आदि भी उनसे साइकिल खरीद चुके हैं। यह तो कुछ खास नाम हैं जो उन्हें याद हैं। इनके अलावा भी तमाम लोग साइकिलिंग के शौकीन हैं। युवा वर्ग भी मंहगी साइकिल खरीदने के शौकीन हैं।
दिल और दिमाग रहता है स्वस्थ
राघवेन्द्र हाॅस्पिटल के संचालक डा.आर आर सिंह बताते हैं कि साइकिलिंग दिल और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखने का सर्वोत्तम साधन है। लोगों को यह पता भी नहीं होता कि उन्होंने दिमाग की कसरत कैसे कर ली। अधिकांश लोग यही जानते हैं कि साइकिल चलाने से केवल मांसपेशियों की कसरत ही होती है। लेकिन वास्तव में जाने अनजाने में हम अपने दिमाग की भी बेहतर कसरत करते हैं। साइकिल को संतुलित रखने के लिए हमें दिमाग का बेहतर उपयोग करना होता है। हम दिमाग का जितना ज्यादा उपयोग करेंगे हमारा दिमाग उतना ही स्वस्थ रहता है। और हमारे दिमाग की यूंही कसरत हो जाती है। उन्होंने बताया कि सड़क या पक्के फर्श पर चलने से पैरों की हड्डियों को नुकसान होता है। परन्तु साइकिल चलाने से केवल लाभ ही लाभ हैं।
एजेंसी