नई दिल्ली: इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि गूगल हमारी जिंदगी का ख़ास हिस्सा बन चूका है। जहां कई बड़े मसलों का हल आसानी से हो जाता है। कई ऐसे छोटी-बड़ी बातें, जो हमारे रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी हुई हैं। हर बात की खबर गूगल से ढूंढ ली जाती है।
लेकिन गूगल पर अपने सारे सवाल का जवाब ढूंढने वालों को सावधान होने की जरूरत है। क्योंकि आपको जानकर हैरानी होगी कि गूगल पर ऐसी निर्भरता आपके दिमाग पर गहरा असर डालती है। इससे आपकी याद रखने की स्मरण शक्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।
केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (CIP) के निदेशक डाॅ. बासुदेव दास बताते हैं कि पहले हम अपने तीज त्योहार या किसी का जन्मदिन वैसे ही याद रखते थे। मगर अब फेसबुक या गूगल कैलेंडर की मदद से याद रखना पड़ता है। पहले हम पूरा का पूरा फोन नंबर याद रखते थे। अब कई लोगों को अपना फोन नबंर भी याद नहीं रहता। इसका कारण यह है कि हमने तकनीक पर अपनी निर्भरता को बढ़ा दिया है। किसी भी तकनीक का इस्तेमाल अच्छा है। मगर उसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हमें कमजोर बना देता है।
डाॅ. बासुदेव दास कहते हैं कि गूगल और इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि अब यह मनोविकार का रूप ले रही है। इंटरनेट का पैक खत्म होते ही लोग बेचैन हो जाते हैं। कई लोग तो प्री रिचार्ज करके रखते हैं, ताकि उन्हें परेशानी न हो। इन आदतों का हमारी भावी पीढ़ी भी शिकार हो रही है। इस पर कई रिसर्च किए जा रहे हैं। हम गूगल के इस्तेमाल के साथ ही इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल के दुष्प्रभाव के बारे में भी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।
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