Deoghar: देवघर का सबसे वीवीआईपी इलाका गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे (MP Nishikant Dubey) का एलकोसीधाम, निवास स्थान से लोगों को परेशानी नहीं थी। परेशानी थी सांसद निशिकांत दुबे से। जिन्हें किसी तरह फंसाने की रणनीति तैयार की गई। जिसमें उनके परिवार को भी घसीटा गया। इसमें वैसे लोगों को शामिल किया गया जो कभी निशिकांत दुबे के सबसे करीबी हुआ करते थे।
एलकोसीधाम की रजिस्ट्री को अवैध बताते हुए देवघर थाने में एफ आई आर दर्ज करा दिया गया। देवघर के उपायुक्त ने रजिस्ट्री तक को रद्द कर दिया। इस केस को सांसद ने झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) में चुनौती दी। इस मामले में कोर्ट में काफी बहस चली। झारखण्ड की हेमंत सरकार से जवाब मांगा गया। लेकिन राज्य सरकार कोर्ट को यह बता नहीं पाई कि जमीन के मामले में क्रिमिनल केस क्यों? जमीन किसी का तो तीसरे पार्टी को आपत्ति क्यों? उसका उस जमीन से क्या लेना-देना?
इन सवालों का जवाब ना राज्य सरकार दे पाई और ना ही केस करने वाला। हाईकोर्ट की बेंच ने सुनवाई पूरी करने के बाद इस मामले में सांसद की पत्नी अनामिका गौतम (Anamika Goutam) पर दर्ज केस को रद्द कर दिया। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी। यानी एसएलपी (SLP) दायर की। जहां से भी राज्य सरकार को लताड़ ही लगी।
पिछले सप्ताह ही सुप्रीम कोर्ट की पहली सुनवाई में याचिकाकर्ता की याचिका को रद्द कर दिया गया। हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल कर दिया कि जमीन किसी का तो तीसरे पार्टी को क्या परेशानी? इस मामले में क्रिमिनल केस क्यों किया गया?
जमीन के इस मामले में राज्य सरकार ने कांग्रेस के बड़े नेता व अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को इस केस में पैरवी के लिए रखा था। लेकिन सरकार की सुप्रीम कोर्ट में भी एक न चली। वहां भी कोर्ट ने जमकर लताड़ लगाई और निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) की जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया।
करीब डेढ़ साल में एक जमीन का मामला पुलिस, जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार और हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। इस दौरान सांसद की परेशानी बढ़ी रही। उनका परिवार परेशान था। क्योंकि जांच के नाम पर अनामिका गौतम को सशरीर थाना में उपस्थित होने के लिए 10 से ज्यादा नोटिस जारी किया जाता रहा। आखिरकार, नतीजा सबके सामने है। जिससे यह उजागर होता है कि ये पूरी तरह से सांसद को घेरने की रणनीति व एक जमीन मामले में की गयी राजनीति थी। शायद इसीलिए सांसद निशिकांत दुबे ने एक ट्वीट किया था: सत्यमेव-जयते।