By: सरिता मिश्र
लोजपा में आए सियासी भूचाल का झटका झेलने वाले जमुई सांसद और दलित नेता रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के भविष्य को लेकर राजनीतिक गलियारे में अटकलें तेज हो गई हैं। अपने चाचा और पिता रामविलास पासवान की आईडियोलॉजी को अपनाकर पांच बार विधायक और एक बार सांसद बने पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में लोजपा के 6 में से 5 सांसदों ने चिराग को अपदस्थ कर दिया है। पिछले 48 घंटों के राजनीतिक घटनाक्रम का आलम यह रहा कि चिराग को अपने चाचा पारस के दरवाजे से बेआबरू होकर लौटना पड़ा। लोजपा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग को मिले इस झटके से उबरना आसान नहीं होगा। हालाँकि अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो इस राजनीतिक घटनाक्रम की पटकथा बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ही तैयार कर ली गई थी जिसे अब अमलीजामा पहनाया गया।
वेट एंड वॉच की स्थिति में बीजेपी
लोजपा में हुई इस टूट-फूट को लेकर बीजेपी काफी संयमित है। पार्टी के अंदर खाने से मिली जानकारी पर भरोसा करें तो चिराग पासवान को लेकर बीजेपी बिहार में दो पॉलिटिकल लाइन पर सोच रही है। एक धड़ा चिराग को प्रोजेक्ट करने का मन बना रहा है। वही दूसरा बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा के अकेले चुनाव लड़ने से हुए बीजेपी के कथित नुकसान की दुहाई दे रहा है। इधर केंद्र में कैबिनेट विस्तार उधर लोजपा में भूचाल राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो लोजपा में इस भूचाल की टाइमिंग बहुत सोच समझ कर रखी गई। एक तरफ जहां केंद्रीय कैबिनेट में विस्तार होना है। ऐसे में लोजपा अब दुबारा बीजेपी के साथ होकर केंद्र में जगह बनाने के मूड में है। लोजपा सूत्रों की माने तो वाया जदयू, लोजपा नेता दिल्ली में स्थापित होने का मन बना रहे हैं। कथित तौर पर चिराग इस रास्ते में रोड़ा बन रहे थे इसलिए उन्हें किनारे लगा दिया गया। लोजपा सांसदों ने चिराग को अपना अध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया है और फिलहाल पारस उनके नेता हैं।
प्रधानमंत्री का निर्णय तय कर सकता है चिराग का भविष्य
रामविलास पासवान की मौत के बाद खाली पड़े उनके कैबिनेट बर्थ पर किसे बिठाया जायेगा यह केंद्र सरकार तय करेगी। चिराग के करीबियों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पासवान पुत्र को मौका देंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह बिहार में दलितों का वोट बैंक माना जा रहा है जो कथित तौर पर रामविलास पासवान के बाद चिराग के साथ जा सकता है। राजनीतिक अवसर वाद का लाभ उठाने वाले लोजपा के सांसदों को पीएम किनारे भी लगा सकते हैं। हालांकि यह राजनीतिक कयास हैं क्योंकि लोजपा के पांच सांसद जदयू के नजदीक जा चुके हैं और ऐसे में जदयू अपने कोटे से भी उन्हें केंद्र भेजने की वकालत कर सकता है। इसी बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्रीय कैबिनेट में किस जगह मिलेगी यह तय करने का विशेषाधिकार केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास है।