Bhopal: वैशाख पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप श्रीसत्यनारायण जी का पूजन किया जाता है और भगवान श्रीसत्यनारायण की कथा पढ़ना अथवा सुनना या पूजा करवाना बेहद शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान श्रीगणेश, माता पार्वती, भगवान शिव और चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है।
इस संबंध में वैशाख पूर्णिमा के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया वैशाख माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि चार मई गुरुवार रात्रि 11 बजकर 45 मिनट पर पर शुरू होगी और पांचमई शुक्रवार रात्रि 11 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। वैशाख दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत पांच मई शुक्रवार को होगा।
उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने से गरीबी दूर होती है और घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन कई धर्मराज गुरु की पूजा भी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से धर्मराज गुरु खुश होते हैं और लोगों को अकाल मृत्यु का डर नहीं होता। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को भी इसी व्रत का विधान बताया था जिसके बाद उनकी गरीबी दूर हुई।
गंगा स्नान का है विशेष महत्व
इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है, इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। यह पूर्णिमा बौध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा दिन माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जी की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार लिया था। ये अवतार भगवान बुद्ध के नाम से लोकप्रिय है। इतना ही नहीं इसी दिन भगवान बुद्ध ने मोक्ष प्राप्त किया था। इस दिन को लोग सत्य विनायक पूर्णिमा के तौर पर भी मनाते हैं।
इस तरह करें व्रत का पालन
इस दिन व्रती को जल से भरे घड़े सहित पकवान आदि भी किसी जरूरतमंद को दान करने चाहिए। स्वर्णदान का भी इस दिन काफी महत्व माना जाता है। इस विशेष दिन भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। रात्रि के समय दीप, धूप, पुष्प, अन्न, गुड़ आदि से पूर्ण चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए और जल अर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात किसी योग्य ब्राह्मण को जल से भरा घड़ा दान करना चाहिए। ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन करवाने के बाद ही स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए। इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है। पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है। गरीबों को भोजन व वस्त्र दिए जाते हैं। ‘ॐ मणि पद्मे हूम्’ बौद्ध धर्म के लोग इस मंत्र को काफी पवित्र और शक्तिशाली मानते हैं। बौद्ध धर्म की महायान शाखा में यह मंत्र विशेष रूप से जाप किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस विशेष दिवस पर बुद्ध पूर्णिमा- श्रीबुद्ध जयंती के साथ ही श्रीकूर्म जयंती भी मनाई जाएगी।