Deoghar: बाबाधाम देवघर में होली भी अध्यात्मिक माहौल से ही शुरू होती है। देवघर देश का एक मात्र शहर है जहाँ होली बाबा भोले के शिवलिंग की स्थापना के उपलक्ष्य में होली मनाई जाती है। क्यूंकि इसी दिन बिष्णु के साथ शिव का मिलन देवघर शहर के समीप हरलाजोड़ी में हुई थी।
प्राचीन काल से ही देवघर में होली की शुरुआत हरी हर मिलन के साथ शुरू होती है। जिसमें राधा कृष्ण की मूर्तियों को आशन से उठाकर पालकी पर रखा जाता है और उस पालकी को बाबा मंदिर के चारो ओर परिभ्रमण के बाद दोल मंच पर ले जाया जाता है। जहा भक्त राधा कृष्ण को झूले पर झुलाकर, अबीर गुलाल लगाकर एक दूसरे के गले लगते हैं। बाबा मंदिर के गर्भ गृह में द्वादश ज्योतिर्लिंग पर लोग अबीर गुलाल चढ़ाकर कामना करते हैं। बाद में कृष्ण की मूर्ति को बाबा मंदिर में शिव लिंग पर रख कर हरिहर मिलन कराया जाता है।
इस साल हरिहर मिलन सात मार्च को होगा। इस आयोजन को देखने लोगो की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस दिन को शिवलिंग की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है। कथाओ के मुताबिक शिवलिंग को विष्णु ने चरवाहे का रूप धारण कर रावण से अपने हाथो में लिया और यहाँ स्थापित किया था। परम्पराओ के अनुसार हरी हर का मिलान कराया जाता है।
एक दूसरी कथा के मुताबिक मोहनी रूप का जो वर्णन अमृत मंथन में हुआ था और शंकर भगवान मथुरा में गोप नृत्य में मोहनी का रूप धारण कर पार्वती के पास पहुंचे थे। उस समय शिव की कृष्ण से मुलाक़ात नही हो पाई थी। ऐसे में शिव की इक्षा हुई कि कृष्ण अवतार में इनसे मिलने की। इसी इक्षा की पूर्ति के लिए बाबाधाम में हरी और हर का मिलन कराया जाता है।