रांची।
तमिलनाडु के कोयंबटूर में दलालों के चंगुल में फंसी झारखंड की 24 बेटियों को मुक्त करा लिया गया है। बेटियां बुधवार सुबह रांची पहुंची। अब इन्हें इनके घर पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला के विभिन्न गांवों में पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।
मुक्त हुई लड़कियों ने बताया कि इन्हें इन्हीं के जिले के दलाल संजय जोको ने धोखा देकर सिलाई-कटाई का काम का लालच देकर दवा कंपनी में पहुंचा दिया था। ये दो महीने से वहां फंसी हुई थी। वे तीन अक्टूबर को रांची से कोयंबटूर सिलाई का काम करने गई थीं। वहां उन्हें दवा कंपनियों में पहुंचा दिया गया। यहां न उन्हें दो समय सही से खाना मिलता था और न सोना। उन्होंने बताया कि बीमार पड़ने पर उन्हें छुट्टी की जगह डांट मिलती थी।
लड़कियों ने बताया कि इन्हें 12 हजार रुपए महीने की तनख्वाह की बात कही गई थी। लेकिन उन्हें आधे से भी कम पांच हजार रुपए दिया जाता था। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें अलग-अलग तरीके से प्रताड़ित किया जाने लगा। कभी खाना बंद कर दिया जाता था तो कभी बाहर निकाल दिया जाता था। जब इन्होंने घर वाले को अपनी पीड़ा सुनाई तो उन्होंने इन्हें घर वापस आने की बात कही। लेकिन दलाल इन्हें घर नहीं आने दे रहे थे। वे इनसे पैसे मांगते थे। इसके बाद उन्होंने राज्य सरकार की मदद से चलाई जा रही फिया फाउंडेशन के कंट्रोल रूम में फोन किया।
आजाद कराने में हुई मशक्कत
फिया फाउंडेशन के कोऑर्डिनेटर संदीप डुंगडुंग ने बताया कि इनका कॉल आने के बाद सरकार को इसकी जानकारी दी। इसके बाद इन्हें वापस लाने की तैयारी शुरू की। श्रम विभाग की मदद से इन्हें रेस्क्यू किया गया। लेकिन जैसे ही इन्हें वापस लाने की कोशिश की जाती थी, वहां लोग इन्हें परेशान करने लगते थे। काफी मशक्कत के बाद मंगलवार को इन्हें इन्हें एयर लिफ्ट की मदद से चेन्नई से दिल्ली के रास्ते रांची लाया गया। बच्चियों को रेस्क्यू करने में सामाजिक संगठन आश्रय और एसीसी सीमेंट चाईबासा की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।