देवघरः
शारदीय नवरात्रा को लेकर चारों ओर भक्तिमय माहौल बना हुआ है. हर ओर मां के जयकारे गुंजायमान हो रहे हैं. ऐसे में देवघर के सरसकुंज परिसर में पहली बार मां दुर्गा का सिंहासन लगाया गया है.
सरस कुंज में पहली बार मां की अराधना के लिए दरबार सजा है. यहां मां दुर्गा की अराधना हर रोज हो रही है. सरस कुंज का माहौल अन्य जगहों से भिन्न हैं. हर कोई अपने मां-बाप, बेटे, बेटियों के साथ मां की पूजा कर रहे लेकिन यहां मां भी है, बच्चे भी हैं बस किसी का किसी से खून का रिश्ता नहीं है. लेकिन,ये रिश्ता खून के रिश्ते से भी ज्यादा गहरा है.
सरस कुंज के स्नेह, आंचल और छांव यूनिट में रहने वाले सदस्य इन दिनों मां की अराधना में मशगुल हैं. यहां रिश्ते महसूस किये जाते हैं. बुजूर्ग मां भी पूजा कर रही और बच्चे भी.
और तो और सबसे खास बात यह है कि स्नेह के बच्चे जो देख नहीं सकते. जिनकी आंखें तो कुदरत ने छिन ली, लेकिन इनके अहसास कायम हैं. दृष्टिबाधित ये बच्चे दुर्गास्तूति करने में मशगुल हैं. ब्रेन लिपी के जरीये मां की स्तुति हर रोज़ पढ़ी जा रही है. इनकी आवाज़ सून बुढ़ी मांओं की आंखें भी नम हो जाती है,और इन बच्चों के पास चलीं आती हैं मां का पाठ करने.
ये बच्चे देख तो नहीं सकते. लेकिन जो सहारा इन मां के आंचल में उन्हें मिलता है. शायद यही अहसास है कि आज इतनी खुबसूरती से ये मां की अराधना कर रहे. सबों द्वारा ब्रेनलिपी के जरीये दुर्गा मां की आरती हर रोज़ की जा रही है. नवरात्र के इस अवसर पर सरसकुंज में उत्सवी माहौल बना हुआ है.
सरस कुंज की देखरेख करने वालों ने फैसला लिया है कि नवरात्रा के बाद भी अब हर दिन यहां पूजा-अर्चना होगी. हर रोज प्रार्थना और मंत्रोच्चारण यहां रहने वाले सदस्य करेंगे.