Deoghar : देश में आम चुनाव की घोषणा होते ही जहां बीजेपी समेत तकरीबन तमाम राजनीतिक दलों ने ज्यादातर सीटों पर अपने प्रत्याशीयों के नाम का ऐलान कर दिया है वहीं, झारखंड का गोड्डा संसदीय सीट विपक्षी यानी इंडिया गठबंधन के लिए परेशानी का सबब साबित हो रहा है. रांची से लेकर दिल्ली तक इस सीट पर मुफीद माननीय के चयन को लेकर लगातार माथापच्ची जारी है.
लेकिन, कांग्रेस और जेएमएम अबतक इस सीट को लेकर किसी नतीजे तक नहीं पा रही है. इस बीच गोड्डा सीट से वर्तमान सांसद निशिकांत दुबे ने अपने सोशल साइट के X हैंडल से जो जो दावा किया है उसे पढ़ने के बाद प्रदेश कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के तमाम सियासतदानों की चूलें हिल गई है.
निशिकांत दुबे ने X हैंडल पर लिखा है कि…
“जानकारी के अनुसार गोड्डा संसदीय सीट से कांग्रेस के सभी संभावित उम्मीदवार ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. आलमगीर आलम व इरफ़ान अंसारी ने डर से, बलात्कार का आरोपी सज़ा के डर से और बाकी जमानत जब्त होने से बचने के डर से। जय शिव.”
डॉ निशिकांत दुबे के इस बयान को कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ माइंड गेम करार दे रहे हैं तो कुछ इसे चुनाव से पहले का प्रॉपगेंडा मैंनेजमेंट बता रहे हैं ताकि, मैदान में आने से पहले ही विपक्षी उम्मीदवार को दिमागी तौर पर कमजोर किया जा सके. इसे भी इलेक्शन मैंनेजमेंट का ही हिस्सा समझा जाना चाहिए. और अगर निशिकांत दुबे के इस दावे में सच्चाई है तो क्या चौथी दफे मैदान में उतरे वर्तमान सांसद को विपक्ष यह सीट थाली में परोस कर यूँ ही सौप देगा ?
सवाल कई हैं जिसका जवाब इंडिया गठबंधन की अगली रणनीति के बाद ही मिल पायेगा यानी, जबतक यह तय नहीं हो जाता कि, निशिकांत दुबे को टक्कर देने के लिए विपक्ष अपने तरकश से कौन से तीर का इस्तेमाल करेगा तबतक इंतज़ार करना ही मुनासिब होगा.
क्या है गोड्डा संसदीय सीट का तिलिस्म?
गोड्डा लोकसभा सीट के लिए अबतक हुए चुनाव में ज्यादातर बीजेपी ने ही जीत का परचम लहराया है. पिछले तीन आम चुनावों 2009, 2014 और 2019 में डॉ निशिकांत दुबे ने लगातार जीत की हैट्रिक दर्ज कराई है और साल 2024 में वह चौथी दफे मैदान में हैं.
गोड्डा के विकास का डॉ निशिकांत मॉडल
बीते पंद्रह वर्षो में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के रास्ते पूरे संताल परगना ने विकास का आइना देखा है. स्वास्थ्य… शिक्षा… उद्योग.. इंडस्ट्री और सड़क समेत रेल यातायात के क्षेत्र में हुए कार्यों की चर्चा देशभर में होती है. यूँ कहें कि, देश की संसद में अगर विकास की चर्चा होती होती है तो सांसदों का एक बड़ा समूह दबी जुबान में ही सही, डॉ निशिकांत मॉडल की नज़ीर पेश करते नज़र आते हैं. कुल मिलाकर गोड्डा लोकसभा आज देश के तमाम संसदीय क्षेत्र के नुमाइंदो के लिए किसी रोल मॉडल से कम नहीं है.
इतना ही आजादी के बाद पहली बार गोड्डा के लोगों को रेल का सफर करा देश के कोने -कोने तक पहुंचाने वाले सांसद निशिकांत दुबे ने अपना नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज तो जरूर करा लिया है. यही वजह है कि, इस सीट को लेकर तमाम रणनीतिकारों और चुनावी चाणक्य की पेशानी पर बल नज़र आ रहे हैं.
कैसा रहा है गोड्डा सीट से निशिकांत के जीत का ग्राफ
बीते पंद्रह वर्षो के भीतर इस सीट पर हुए तीन चुनाव का विश्लेषण करें तो निशिकांत दुबे का पलड़ा काफी भारी नज़र आता है. तमाम झंझवतों और विवादों के बीच हुए मतदान में वर्तमान बीजेपी सांसद के जीत के अंतर में लगातार इजाफा दर्ज किया गया है. साल 2019 की बात करें तो बीजेपी की झोली में करीब 52 फीसदी वोट गिरे थे जबकि, विपक्ष को तकरीबन 37 फीसदी वोट से ही संतुष्ट होना पड़ा था.
यही वजह है कि, वर्तमान हालात.. पिछला ट्रैक रिकॉर्ड और इंडिया गठबंधन के हालत को देखते हुए बीजेपी इस दफे इस सीट पर नौ लाख पार का दावा करती नजर आ रही है. ऐसी में सवाल यह खड़ा होता है कि, क्या विपक्ष इतना कमजोर हो चुका है कि, उनके उम्मीदवार इस सीट का नाम सुनते ही बंगले झाँकने लगते हैं..
कम से कम निशिकांत दुबे के ट्ववीट से तो ऐसा ही प्रतीत होता है. और अगर सांसद के दावे में थोड़ी भी सच्चाई है तो गोड्डा सीट पर चुनाव महज एक रस्मअदायगी होगी।