Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और अन्य लोगों की याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि झारखंड के किसी भी जिले के उपायुक्त (डीसी) अब रजिस्ट्री कैंसल नहीं कर सकते हैं। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस गौतम चौधरी की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी की कोर्ट ने सेल डीड निरस्त करने से संबंधित डीसी के आदेश के खिलाफ दायर 33 याचिकाओं को स्वीकृत कर लिया। कोर्ट ने जिले के उपायुक्तों को सेल डीड को निरस्त करने से अधिकार से संबंधित राज्य सरकार के पत्र को निरस्त कर दिया।
सेल डीड निरस्त करने से संबंधित FIR भी निरस्त
हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि उपायुक्तों द्वारा सेल डीड निरस्त करने से संबंधित किए गए एफआईआर भी निरस्त हो जाएंगे। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि अगर फर्जीवाड़ा कर जमीन की खरीद बिक्री की गई है और उसके दस्तावेज को निबंधन कराया जाता है तो उपायुक्त को उसे निरस्त करने का पावर संबंधी जारी सरकार का पत्र गलत है। यह कानून के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है और सेल डीड निरस्त होना चाहिए तो उसे सिविल कोर्ट में पिटीशन दाखिल करना होगा
झारखंड हाईकोर्ट में निशिकांत दुबे की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव और पार्थ जालान ने बहस की।
बता दें कि राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में एक नोटिफिकेशन निकाला था, जिसके तहत फर्जीवाड़ा कर जमीन का गलत ढंग से ट्रांसफर की शिकायत मिलने पर जिलों के उपायुक्त को सेल डीड कैंसिल करने का अधिकार दिया गया था। साथ ही उपायुक्त को एफआईआर करने का भी अधिकार मिला था। राज्य के अन्य जिलों के डीसी द्वारा कई लोगों के सेल डीड कैंसिल किए जाने से संबंधित 33 याचिकाओं की सुनवाई पूरी होने के बाद मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। इसी मामले में ऑनलाइन एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक अनामिका गौतम (सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी) की ओर से भी देवघर स्थित जमीन की सेल डीड कैंसिल किए जाने को चुनौती दी गई है। प्रार्थियों का कहना था की कानून के अनुसार एक बार सेल डीड हो जाने पर उसको कैंसिल करने का पावर राज्य में सिविल कोर्ट के पास है।
याचिका में संसद की पत्नी अनामिका गौतम का आरोप है कि देवघर डीसी ने श्यामगंज मौजा, देवघर की उनकी जमीन का सेल डीड कैंसिल कर दिया है। उनका कहना था कि जमीन के रजिस्टर्ड सेल डीड को कैंसिल करने का अधिकार डीसी, देवघर के पास नहीं है। यह अधिकार सिविल कोर्ट के पास है। प्रार्थी मुन्नालाल विनोद शंकर झा पुरुषोत्तम राय की ओर से अधिवक्ता प्रभात कुमार सिन्हा ने पैरवी की थी। वही अनामिका गौतम की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव एवं पार्थ जालान ने पैरवी की। बता दे की हाई कोर्ट में दायर अनामिका गौतम सहित विभिन्न याचिकाओं में राज्य के कई जिलों में डीसी द्वारा रजिस्टर्ड सेल डीड को रद्द करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
दरअसल गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की रजिस्ट्री तत्कालीन डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने रद्द कर दी थी। डीसी द्वारा की गयी यह कार्रवाई काफी चर्चा में रही थी। जिसके बाद सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जहां से उन्हें बड़ी राहत मिली है।