Deoghar: झारखंड प्रदेश भाजपा के कार्यसमिति की बैठक देवघर में सोमवार को शुरू हुई। इसमें राज्य सरकार की विफलता को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया। पार्टी ने सर्वसम्मति से राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर हेमंत सरकार के खिलाफ उलगुलान शुरू कर दिया है। सांसद सुनील सोरेन ने राजनीतिक प्रस्ताव रखा। इसका समर्थन विधायक अनंत ओझा एवं केदार हाजरा ने किया।
राजनीतिक प्रस्ताव पर सांसद निशिकान्त दुबे तथा सूरज मंडल ने भी अपने विचार रखे। राज्यभर से जुट लगभग 400 डेलीगेट्स के समक्ष पार्टी ने भावी रणनीति पर चर्चा भी की। जानकारी के अनुसार बैठक में मिशन 2024 को लेकर कार्यकर्ताओं को कमर कस लेने का निर्देश मिला है। मोदी सरकार के आठ वर्षों के कार्यों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया गया। साथ ही पार्टी के पदाधिकारियों को भी यह निर्देश दिया गया है कि वे अपनी पहुंच पंचायत स्तर तक बढ़ाएं।
राज्य सरकार की हर मोर्च पर फलता पर चर्चा करते कहा गया कि राज्य की जनता इस सरकार से पूरी तरह उब चुकी है। जनता आशा भरी नजरों से भाजपा की ओर देख रही है। पार्टी जनता के हित में सड़क से सदन तक निरंतर संघर्ष करेगी। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश के अलावे केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र नाथ त्रिपाठी, प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, राज्यसभा सांसद आदित्य साहू समेत कई प्रमुख नेता भी उपस्थित थे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में मोदी सरकार के करिश्माई नेतृत्व को सराहा गया। कहा गया कि उनके करिश्माई नेतृत्व में देश विश्व गुरु के तौर पर उभऱ रहा है।
जी-20 की अध्यक्षता मिली है। स्वच्छ भारत अभियान, जनधन योजना, उज्जवला योजना, मुद्रा योजना समेत अनेक ऐसे काम हैं जो ऐतिहासिक हैं। 81.36 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराना खास है। जनजाति समुदाय के लिए बजट बढ़कर 21 हजार करोड़ से 86 हजार करोड़ किया गया। आवास के क्षेत्र में 3 गुना वृद्धि की गयी है। 1.30 करोड़ आदिवासी घरों में पेयजल की व्यवस्था और 1.45 करोड़ घरों में शौचालय की हुई है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय जनजाति दिवस घोषित किया गया।
बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पारित लाते हुए कहा गया कि केंद्र सरकार अपने स्तर से झारखंड सरकार की खूब मदद करती रही है। पर राज्य में संपोषित भ्रष्टाचार ने रिकॉर्ड स्थापित कर रखा है। ईडी की कार्रवाई में मुख्यमंत्री , मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि, सलाहकार सहित सत्ता के बिचौलिये भी शामिल हैं। राज्य में खान खनिज, बालू, जमीन की लूट मची हुई है।
हेमंत सरकार आदिवासी और दलित विरोधी भी है। टीएसी के गठन को विवादित बना दिया। नगर निकाय चुनाव में मेयर सीट को आरक्षित करने में आदिवासी और दलित को लडवाया। आदिवासियों के लिए आरक्षित इंडस्ट्रियल एरिया को अपनी पत्नी के नाम सीएम ने करवाया। दो वित्तीय वर्षों में केंद्र से आदिवासी बहुल गांवों के विकास के लिए मिले 135 करोड़ रुपये में से मात्र 13 करोड़ ही सरकार खर्च कर पायी। अब तक एससी जाति आयोग का गठन नहीं किया है। निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण देने की मंशा नहीं दिखती, ट्रिपल टेस्ट कमिटी का गठन इसके लिए अब तक नहीं किया है। युवा, किसान, महिलाओं की विरोधी भी यह सरकार है। हर साल पांच लाख को नौकरी का वादा करने वाली सरकार ने 3 सालों में महज 357 को ही नौकरी दी है।