Deoghar: 10 और 11 सितंबर रांची में हुए चैम्बर चुनाव के बाद विवाद थम नहीं रह है। अब चैम्बर के कई सदस्य चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उसे संदेहास्पद बता रहे हैं। मामला संताल परगना क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के चुनाव का है। एफजेसीसीआई के सदस्य वीरेंद्र सिंह ने भी पूरे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
वीरेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि चैंबर की चुनाव पक्रिया 10 सितंबर को दोपहर बाद 2 बजे से 7 बजे तक और 11 को सुबह 9 बजे से रात 7 बजे तक की गई। मतदान केंद्र में संथाल परगना के लिए मतदान बूथ तीन तल्ला पर फेडरेशन की ऑफिस को बनाया गया था जहां चुनाव अधिकारीगण का भी ऑफिस था। संथाल से आए वोटरों द्वारा अपनी पर्ची चुनाव अधिकारियों से लेकर मतदान करना था। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में कई विसंगतियों को देख गया। जिक्र करते हुए कहा कि जिस स्थान पर वोटर अपना मत कंप्यूटर लैपटॉप के माध्यम से करते थे तथा पुनः मतपत्र के प्रिंटआउट को एक बॉक्स में डालते थे, वह पारदर्शी शीशे से घिरी एक ऑफिस थी एवम खुले आम कोई भी वोटर द्वारा डाला गया मत स्क्रीन पर बाहर से देख सकता था। जब की मतदान गुप्त होना चाहिए।
दूसरा, इस मतदान बूथ पर किसी के आने जाने की कोई पाबंदी नहीं थी। वोटरों के अलावा उनके सहयोगी उनके साथ मतदान टेबल के पास भी उनके साथ रहते थे।आपत्ति करने पर कोई सुनवाई नही हो रही थी। उन्होंने इसे बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि चुनाव के दौरान एक मतदाता द्वारा लैपटॉप के माध्यम से अपने उम्मीदवार को वोट सबमिट किया गया। लेकिन जब प्रिंट आउट आया तो वो विपरीत उम्मीदवार के नाम का निकला। आपत्ति करने पर मौके पर उपस्थित अधिकारी द्वारा मतदाता को ही इसका दोषी करार दिया गया लेकिन लैपटॉप ऑपरेटर द्वारा उन्हें दोष मुक्त बताया और सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी बताई गयी । फिर मतदाता को आश्वासन दिया कि आपका मत सिस्टम में ठीक कर दिया जायेगा और प्रिंट बैलट को चुनाव अधिकारी द्वारा नाम ठीक कर उनका हस्ताक्षर कर मत पेटी में डलवा दिया।
वीरेंद्र सिंह ने बताया कि मतदान समाप्ति के बाद हुए वोटों की गिनती और परिणाम से दोनों पक्ष हतप्रभ थे। चुनाव समिति के चेयरमैन ने करीब 7.30 बजे बताया कि चुनाव की गिनती के बाद एक साथ ही कार्यकारिणी और क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के परिणाम घोषित किए जाएंगे, लेकिन बाद में आधे घंटे बाद ही उन्होंने दोनों प्रत्याशियों को सूचित किया कि आपदोनों के वोट टाइ हो गए हैं। बाद में जब एक प्रत्याशी द्वारा आपत्ति जताई गई कि यह कैसे हो गया, वोटों की गिनती कब और कैसे हो गई। क्योंकि चुनाव समिति ने काउंटिंग के लिए किसी भी प्रत्याशी या उसके प्रतिनिधि को उपस्थित रहने हेतु बुलाया ही नहीं। छोटे से छोटे चुनाव में भी मतों की गिनती प्रत्याशी या उनके प्रतिनिधि के समक्ष होती हैं। मत शुरू होने से पहले और मतदान की समाप्ति के बाद कुल हुए वोटों की जानकारी दी जाती है और हस्ताक्षर लिए जाते हैं। दोनों चुनाव पदाधिकारियों ने उपरोक्त किसी भी सामान्य नियम का पालन नहीं कराया, यह घोर आपत्तिजनक है।
टाइ के फैसले पर तत्काल प्रत्याशी एवं संप क्षेत्र के अन्य सदस्यों द्वारा विरोध करने के बाद पहले तो उन्होंने कहा कि आपलोग लिखित आपत्ति दे दीजिए, चुनाव समिति इसपर विचार करेगी। फिर देर रात लगभग 11 बजे पूरे परिणामों की घोषणा में संताल परगना के परिणाम को स्थगित रखने की घोषणा की गई। इस बीच चुनाव पदाधिकारी पवन शर्मा द्वारा कई विरोधाभास बातें सामने आई। कभी उन्होंने पूछा कि आप लोग क्या चाहते हैं तो प्रत्याशी ने कहा कि सारी मतगणना प्रणाली दोनों प्रत्याशियों को दिखा दीजिए। पहले तो वे तैयार हो गए, लेकिन बाद में इससे भी मुकर गए।
वीरेंद्र सिंह ने कहा इस पूरे विवाद में ये बात छनकर बाहर आई कि चुनाव पदाधिकारियों ने बिना किसी कंसर्न के दो वोट गिनती से हटा दिए और एक वोट रद्द कर दिया। जो कंप्यूटरीकृत सॉफ्टवेयर प्रणाली से मतदान कराया गया इसमें मतों के कैंसिल होने की कोई व्यवस्था है ही नहीं। कुल मतों की संख्या को भी छिपाया गया है। प्रत्याशी का कहना है कि कुल 43 मत पड़े हैं जबकि वे कोई और संख्या बता रहे हैं। ऐसी स्थिति में चैम्बर के पूरे मतदान की प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ गई है।
इधर, प्रत्याशी संजीत कुमार सिंह का दावा है कि मेरे सुनिश्चित जीत को चुनाव खामियों तथा चुनाव पदाधिकारियों के विरोधावासों के कारण और बिना सटीक और प्रत्याशियों को संतुष्ट किए पहले तो टाइ बता और बाद में चुनाव परिणाम स्थगित कर विवाद का विषय बना दिया है जो चैम्बर चुनाव को सन्देहास्पद बना रहा है। प्रत्याशी संजीत सिंह ने दोनो चुनाव पदाधिकारियों को चैम्बर के मेल पर पत्र भेजकर अपनी आपत्ति जता दी है। चुनाव पदाधिकारी अब इसे अपनी गलतियां मान संताल परगना के चुनाव को रद्द कर फिर से चुनाव कराना चाहते हैं, लेकिन प्रत्याशी संजीत सिंह का कहना है कि आखिर चुनाव की गिनती कब और कैसे हुई, यह चुनाव पदाधिकारी को स्पष्ट करना चाहिए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि संताल क्षेत्र के वोट के लिए रांची से कोसों दुर 6 जिलों से मतदाता आए थे, उनके काफी खर्च हुए हैं । फेडरेशन के सदस्य वीरेंद्र सिंह ने कहा कि चुनाव पदाधिकारीयों को अपनी गलतियों और जिम्मेदारियों का एहसास हुआ और उसको छिपाने के लिए 12 सितंबर को शाम को चुनाव रद्द करने का तुगलकी फरमान का एक पत्र मेल उम्मीदवारों को कर दिया गया । यह जनतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने के नाम पर एक धोखा है। अतः चुनाव पदाधिकारियों को चाहिए कि वो स्पष्ट और पारदर्शी तरीके से मतगणना के विवाद को सुलझाए तथा चुनाव की गरिमा को बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि मेरी सारी बातें सीसीटीवी फुटेज से स्त्यापित की जा सकती है।
जानकारी हो कि फेडरेशन के 21 सदस्यों की कार्यकारिणी के साथ ही संताल परगना के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष का चुनाव भी किए जा रहे थे। क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के चुनाव में उसी क्षेत्र के उम्मीदवार और वोटर होते हैं। संप में देवघर से संजीत कुमार सिंह और गोड्डा से प्रितम गाड़िया उम्मीदवार थे।