Deoghar: देवघर ब्लड बैंक में पहली बार बॉम्बे ब्लड ग्रुप के महिला की पहचान हुई है। बॉम्बे ब्लड ग्रुप दुर्लभ रक्त समूहों में से एक माना जाता है। यह इतना दुर्लभ है कि भारत में सवा करोड़ की आबादी में महज 400 लोग ही इस ब्लड ग्रुप के हैं। इस ग्रुप के अधिकतर मरीज मुंबई व गुजरात राज्य में पाये जाते हैं। महिला बहादी हेंब्रम बिहार के बांका जिला अंतर्गत कटोरिया की रहने वाली है।
बताया जाता है कि बहादी के शरीर में कमजोरी व तबीयत खराब रहने के बाद पति हीरालाल सोरेन ने देवघर के निजी क्लिनीक में भर्ती कराया था। जहां, डॉक्टर ने हेमोग्लोबीन की जांच कराने को कहा। रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने खून की कमी बताते हुए ब्लड चढ़ाने की सलाह दी।
परिजन बहादी को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे। जहां से ब्लड बैंक में जांच कराने पर पति के ब्लड ग्रुप से महिला का ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ। ब्लड बैंक के एलटी पुनित कुमार ने महिला के ब्लड का एंटीजन एच किट से जांच किया तो बॉम्बे ब्लड ग्रुप का पता चला। इसके बाद महिला को ब्लड बैंक से रक्त नहीं दिया जा सका।
नहीं मिला ब्लड, परिजनों को सता रही चिंता
महिला को इस ब्लड ग्रुप की पहचान होने पर परिजनों तथा उनका इलाज कर रहे डॉक्टर भी चिंतित हैं। चिकित्सकों में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है। वह ना किसी को ब्लड दे सकते हैं और ना ही किसी को ब्लड चढ़ाया जा सकता है । पति को अब चिंता सताने लगी है कि अब अब इस ग्रुप का ब्लड कहां मिलेगा। वहीं ब्लड बैंक से महिला के माता-पिता और भाई-बहन का ब्लड जांच करने को कहा गया है।
1952 में पड़ा था बॉम्बे ब्लड ग्रुप नाम
इस ब्लड ग्रुप नाम 1952 में किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल ‘बॉम्बे’ में एक मरीज भर्ती हुआ। उसे ब्लड की जरूरत पड़ी। इसके बाद एक-एककर 160 यूनिट खून की जांच की गयी, लेकिन उसके ग्रुप का खून नहीं मिला। इसके बाद और व्यक्ति की जांच हुई तो इसका खून मरीज के खून से मिला। चूंकि रक्तदाता ‘बॉम्बे’ का था, इसलिए डॉक्टरों ने इस ग्रुप का नाम ही बॉम्बे रख दिया।