Ranchi: झारखंड में मनरेगा की योजनाओं (MNREGA schemes in Jharkhand) में कल तक कुदाल-फावड़ा (spade shovel)चलाने और माथे पर मिट्टी ढोने वाले लगभग दो सौ स्त्री-पुरुष मजदूर अब बड़े शहरों में फैशन डिजाइनर, मशीन ऑपरेटर, इलेक्ट्रिशियन, फोरमैन, ऑफिस असिस्टेंट, फील्ड टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर जैसी नौकरियां कर रहे हैं। इनके अलावा 72 मनरेगा श्रमिकों ने अब स्वरोजगार का रास्ता ढूंढ़ लिया है।
यह रूपांतरण मनरेगा के प्रोजेक्ट उन्नति (Transformation Project Unnati of MNREGA) के तहत स्किल ट्रेनिंग के जरिए संभव हुआ है। झारखंड की मनरेगा आयुक्त बी. राजेश्वरी (Jharkhand’s MGNREGA commissioner B. Rajeshwari) बताती हैं कि अंजु कुमारी, सरिता कुमारी, फुलवा देवी, चमेली देवी, ललिता देवी, समीना खातून, उपासना कुमारी जैसी कई महिलाएं हैं, जो राज्य के अलग-अलग गांवों में मनरेगा की योजनाओं में मजदूरी करती थीं।
इन्हें प्रोजेक्ट उन्नति के तहत फैशन डिजाइनिंग का प्रशिक्षण दिया गया और कुछ महीने पहले इन सभी को कोयंबटूर स्थित एक कंपनी में फैशन डिजाइनजर की जॉब मिल गई। राज्य की कुल 57 महिलाएं ऐसी हैं जो फैशन डिजाइनिंग और सिलाई मशीन ऑपरेटर के अलावा अलग-अलग कंपनियों में नियोजित हो गयी हैं।
इसी तरह मंटू मंडल, गौतम कुमार यादव, बबलू यादव, ममलेश्वर मुर्मू, रामफल पंडित, छोटेलाल पंडित, कुंअर सिंह हेंब्रम, संजीव कुमार तिवारी जैसे 72 लोग पहले मनरेगा के तहत साल भर में अधिकतम 100 दिन मजदूरी का काम करते थे, लेकिन अब ट्रेनिंग पाने के बाद इनमें से कोई गुरुग्राम की फैक्टरी में फोरमैन, कोई पंजाब में इलेक्ट्रिशियन तो कोई रांची, जमशेदपुर, बोकारो, हजारीबाग जैसे शहरों में मशीनमैन, कंप्यूटर ऑपरेटर, फील्ड ऑपरेटर, ऑफिस असिस्टेंट जैसे पदों पर काम कर रहा है।
प्रोजेक्ट उन्नति के तहत प्रशिक्षित 50 और ऐसे श्रमिक हैं, जिन्हें विभिन्न कंपनियों से प्लेसमेंट का ऑफर मिला है। झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन के अनुसार राज्य में अब तक आठ सौ से अधिक श्रमिकों को प्रोजेक्ट उन्नति के तहत प्रशिक्षित किया जा चुका है। इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने और कंपनियों में नौकरियों के अवसर भी प्रदान किए जा रहे हैं।